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माफिया अतीक-अशरफ शूटआउट से चर्चा में आई ये जेल, पूर्व PM से लेकर कुख्यात गैंगस्टर तक रह चुके हैं इसमें बंद
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प्रयागराज. उत्तर प्रदेश के कुख्यात माफिया अतीक अहमद और उसके भाई की सरेआम गोली मारकर हत्या करने के बाद प्रयागराज की नैनी जेल सोशल मीडिया की ट्रेंड में है। अतीक-अशरफ के हत्यारों को इसी जेल में भेजा गया है। यहीं अतीक का एक बेटा अली भी बंद है। बता दें कि डबल मर्डर के आरोपी शूटर सनी सिंह, लवलेश तिवारी और अरुण मौर्य को 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में नैनी जेल भेजा गया है। नैनी जेल का एक यादगार इतिहास रहा है।
नैनी जेल का निर्माण 1889 में अंग्रेजों ने कराया था। तब प्रयागराज को इलाहाबाद कहते थे। तब इस जेल की क्षमता 3000 कैदियों की थी।
इलाहाबाद आजादी की लड़ाई के समय स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों का प्रमुख गढ़ हुआ करता था। इसलिए इस जेल में राजनीतिक कैदियों को रखा जाता था।
भारत के पहले प्रधानमंत्री रहे जवाहर लाल नेहरू भी 1930 में इस जेल में कैद रहे थे। नेहरू स्वतंत्रता संघर्ष के दौरान 9 साल जेल में रहे, जिसमें 5 बार नैनी जेल में बंद किया गया।
नैनी जेल में नेहरूजी 14 अप्रैल 1930 को 181 दिन के लिए कैद किया गया था। लेकिन सजा बढ़कर 100 दिनों के लिए 19 अक्टूबर 1930 को उन्हें फिर जेल में डाल दिया गया। 26 दिसंबर 1931 को तीसरी बार, 24 अगस्त 1933 से 30 अगस्त 1933 तक चौथी बार और 23 अगस्त 1934 से 27 अगस्त 1934 पांचवीं बार नेहरू इस जेल में रहे।
नेहरू ने नैनी जेल से ही बेटी इंदिरा गांधी को चिट्ठियां लिखना शुरू की थीं। इन्हीं चिट्ठियों को संग्रहित करके 'विश्व इतिहास की झलक' नामक किताब छपी थी।
नैनी जेल में महामना पंडित मदन मोहन मालवीय भी 13 से 23 सितंबर तक कैद रहे। इस जेल में जीबी पंत, मोतीलाल नेहरू, रफी अहमद किदवई, हसरत मोहानी, विजयलक्ष्मी पंडित और अबुल कलाम आजाद भी कैद रहे। जब नैनी जेल में विजयलक्ष्मी पंडित और अबुल कलाम आजाद कैद थे, तब महात्मा गांधी उनसे मिलने आए थे।
अतीक अहमद और अशरफ के किलर सनी सिंह, लवलेश तिवारी और अरुण मौर्य नैनी जेल में भेजे गए हैं। इससे यह जेल चर्चा में हैं।
नैनी जेल में ही अतीक का एक बेट अली बंद है। ऐसे में जेल में गैंगवार की आशंका बढ़ गई है।
अतीक अहमद और अशरफ पर 15 अप्रैल की रात प्रयागराज में मेडिकल कॉलेज के पास ताबड़तोड़ फायरिंग की गई थी।