सार

उत्तर प्रदेश सरकार ग्लोबल केपेबिलिटी सेंटर (GCC) के लिए नई पॉलिसी ला रही है जिससे राज्य में एमएनसी, एआई, प्रोडक्ट डेवलपमेंट और साइबर सिक्योरिटी जैसे क्षेत्रों में तेजी से वृद्धि होने की उम्मीद है।

लखनऊ, 4 अक्टूबर। उत्तर प्रदेश को उत्तम प्रदेश व वन ट्रिलियन डॉलर की इकॉनमी बनाने के लिए प्रतिबद्ध योगी सरकार ने प्रदेश को ग्लोबल केपेबिलिटी सेंटर्स (जीसीसी) के सुपर हब के तौर पर स्थापित करने की दिशा में प्रयास शुरू कर दिए हैं। इस क्रम में सीएम योगी की मंशा अनुरूप एक नई पॉलिसी पर कार्य हो रहा है जिससे प्रदेश को एमएनसी, एआई, प्रोडक्ट डेवलपमेंट, डाटा एनालिटिक्स व साइबर सिक्योरिटी जैसे सेक्टर्स का सुपर हब बनाने के लिए फोकस किया जा रहा है। उल्लेखनीय है कि जीसीसी वैश्विक मूल्य सृजन, डिजिटल परिवर्तन और तकनीकी नवाचार के प्रमुख घटक के रूप में विकसित हुए हैं। वह इंजीनियरिंग, अनुसंधान, विकास और उन्नत विश्लेषण सहित उच्च-मूल्य संचालन को सक्षम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। ऐसे में, सीएम योगी के मार्गदर्शन में उत्तर प्रदेश अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस प्रौद्योगिकी पार्कों, स्पेशल इकॉनमिक जोन (एसईजेड) और सह-कार्य स्थलों के विकास में निवेश को बड़े स्तर पर बढ़ावा देगा। इन सभी कार्यों को पूरा करने के लिए उत्तर प्रदेश में जल्द ही यूपी जीसीसी पॉलिसी 2024 लाई जा रही है। उत्तर प्रदेश की स्ट्रैटेजिक लोकेशन, बेहतर कनेक्टिविटी, स्किल्ड मैनपावर और योगी सरकार की नीतियां इस मुहिम को गेमचेंजर साबित कर सकती हैं जिससे प्रदेश इस सेक्टर में देश का सबसे बड़ा हब बनने की ओर अग्रसर हो सकता है।

जीसीसी सेक्टर में ग्लोबल लीडर है भारत, अनंत अवसरों के सृजन का बन सकता है माध्यम

भारत ने खुद को जीसीसी क्षेत्र में ग्लोबल लीडर के रूप में मजबूती से स्थापित किया है। अनुमान है कि वर्ष 2030 तक घरेलू मार्केट में लगभग 110 बिलियन डॉलर का शेयर जीसीसी सेक्टर का होगा, जो सॉफ्टवेयर निर्यात पर आधारित है। 2024 तक, भारत के जीसीसी उद्योग ने 1.9 मिलियन से अधिक पेशेवरों को रोजगार दिया और अर्थव्यवस्था में 64.6 बिलियन डॉलर का योगदान दिया, जो भारत के सकल घरेलू उत्पाद का 1% से अधिक है। भारत में जीसीसी की संख्या 2030 तक 1,700 से बढ़कर 2,400 से अधिक होने की उम्मीद है, संभावित विस्तार 2,550 केंद्रों तक पहुंच जाएगा, जिससे 2.5 मिलियन से अधिक नौकरियां पैदा होंगी। नए जीसीसी की वार्षिक स्थापना 70 से बढ़कर 115 हो सकती है, जो वैश्विक प्रौद्योगिकी और सेवा केंद्र के रूप में भारत के नेतृत्व को मजबूत करेगी। इन्हीं बातों को टारगेट करते उत्तर प्रदेश ने यूपी जीसीसी पॉलिसी 2024 का ड्राफ्ट पेश किया है, जिसे इन्वेस्ट यूपी द्वारा तैयार किया गया है। उत्तर प्रदेश के अतिरिक्त कर्नाटक भी इस पॉलिसी को जल्द ही लागू करने जा रहा है और उसने भी ड्राफ्ट तैयार कर लिया है।

उत्तर प्रदेश में गौतमबुद्ध नगर है जीसीसी का सबसे बड़ा केंद्र

जीसीसी का विकास देश व प्रदेश में प्रभावशाली रहा है, जो सरल बिजनेस प्रोसेस आउटसोर्सिंग (बीपीओ) केंद्रों से नॉलेज प्रोसेस आउटसोर्सिंग (केपीओ) और बहुक्रियाशील केंद्रों में बदल गया है। उत्तर प्रदेश अपनी रणनीतिक स्थिति, युवा कार्यबल और तेजी से विकसित हो रहे बुनियादी ढांचे के साथ इस विकास से लाभ उठाने के लिए अच्छी स्थिति में है। बुनियादी ढांचे के विकास, प्रतिभा संवर्धन और वित्तीय प्रोत्साहन पर ध्यान केंद्रित करके, राज्य का लक्ष्य जीसीसी निवेशों के लिए एक अग्रणी गंतव्य बनना है। उत्तर प्रदेश में गौतमबुद्ध नगर में पहले से ही सॉफ्टवेयर और प्रौद्योगिकी क्षेत्र के लिए एक बड़ा जीसीसी हब है।

अपस्ट्रीम और डाउनस्ट्रीम श्रेणियों में बंटा हुआ है जीसीसी सेक्टर

जीसीसी क्षेत्रों को मुख्यतः अपस्ट्रीम और डाउनस्ट्रीम श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया है। अपस्ट्रीम क्षेत्र अत्यधिक विशिष्ट हैं, जिन्हें विकास के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, क्लाउड कंप्यूटिंग, क्वांटम कंप्यूटिंग, डीप-टेक और रोबोटिक्स जैसे औद्योगिक समूह के पहले से मौजूद पारिस्थितिकी तंत्र की आवश्यकता होती है। दूसरी ओर, डाउनस्ट्रीम क्षेत्र पैमाने की अर्थव्यवस्थाओं से स्वतंत्र रूप से काम कर सकते हैं और कुशल कार्यबल, गुणवत्ता वाले बुनियादी ढांचे और व्यापार के अनुकूल शासन के साथ कहीं भी स्थापित किए जा सकते हैं। इनमें बीएफएसआई, सॉफ्टवेयर और प्रौद्योगिकी, और ऊर्जा और उपयोगिताएं जैसे क्षेत्र शामिल हैं। वर्तमान में, अपस्ट्रीम क्षेत्र भारत में सभी जीसीसी का लगभग 25% प्रतिनिधित्व करते हैं, जबकि डाउनस्ट्रीम क्षेत्र कुल जीसीसी हिस्से का लगभग 75% हिस्सा बनाते हैं।

उत्तर प्रदेश में पहले से कई दिग्गज कंपनियां कर रहीं कार्य

ईएसडीएम (इलेक्ट्रॉनिक्स सिस्टम डिजाइन और विनिर्माण) और आईटी/आईटीईएस क्षेत्रों में मजबूत उपस्थिति के साथ-भारत में इन क्षेत्रों में निर्यात का उच्चतम हिस्सा होने और 350,000 से अधिक पेशेवरों को रोजगार देने के साथ-उत्तर प्रदेश संबंधित डाउनस्ट्रीम जीसीसी को आकर्षित करने के लिए अच्छी स्थिति में है। इसलिए, उत्तर प्रदेश में सॉफ्टवेयर और प्रौद्योगिकी, बीएफएसआई, सेमीकंडक्टर, हेल्थकेयर और मेडिकल डिवाइस सहित डाउनस्ट्रीम जीसीसी क्षेत्रों के लिए एक हॉटस्पॉट बनने की क्षमता है। राज्य के पास एआई, डेटा एनालिटिक्स और डिजिटल इंजीनियरिंग जैसे उभरते क्षेत्रों में भी प्रवेश करने का अनूठा अवसर है। ड्राफ्ट के अनुरूप, पॉलिसी को 5 वर्षों की कार्यालवधि के लिए प्रस्तावित किया गया है। नोटिफिकेशन जारी होने के बाद इन्वेस्ट यूपी द्वार पॉलिसी इंप्लिमेंटेशन यूनिट (पीआईयू) का गठन कर इसे क्रियान्वित किया जाएगा तथा इवैल्युएशन व एम्पावर्ड कमेटी के माध्यम से कार्यप्रणाली को प्रदेश मे लागू कर उसकी रेगुलर मॉनिटरिंग होगी।

अब 40 आईटी पार्क, एसईजेड व आगरा, बरेली, गोरखपुर तथा वाराणसी में बढ़ेंगी केपेबिलिटी

  • 40 आईटी पार्क और 25 विशेष आर्थिक क्षेत्र (एसईजेड) आधुनिक, उपयोग के लिए तैयार कार्यालय स्थान प्रदान करते हैं। ऐसे में, जीसीसी पॉलिसी के जरिए यहां भी निवेश व उपक्रम स्थापना को बढ़ावा दिया जाएगा।
  • नोएडा वैश्विक क्षमता केंद्रों (जीसीसी) के लिए एक प्रमुख गंतव्य बन गया है, जो विशेष रूप से इलेक्ट्रॉनिक्स और सेमीकंडक्टर में वैश्विक प्रौद्योगिकी और विनिर्माण दिग्गजों से महत्वपूर्ण निवेश आकर्षित कर रहा है।
  • राज्य ने उत्तर भारत में डेटा सेंटर और सेमीकंडक्टर हब के रूप में खुद को स्थापित किया है, जिसमें योटा, एसटीटी ग्लोबल और वेब वर्क्स जैसे प्रमुख खिलाड़ी यूपी में काम कर रहे हैं। राज्य सरकार ने हाल ही में जेवर अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे के पास 1,000 एकड़ के सेमीकंडक्टर पार्क की घोषणा की, जिसमें यीडा में मल्टी-मॉडल लॉजिस्टिक्स पार्क और रैपिड रेल ट्रांजिट सिस्टम (आरआरटी) तक पहुंच है।
  • इसके अतिरिक्त, राज्य यीडा क्षेत्र में एक इलेक्ट्रॉनिक पार्क (250 एकड़), एक डेटा सेंटर पार्क और अन्य इलेक्ट्रॉनिक विनिर्माण क्लस्टर (ईएमसी) की स्थापना कर रहा है।
  • लखनऊ में एआई सिटी (40 एकड़) की योजना यूपी के बुनियादी ढांचे की पेशकश को और बढ़ाएगी। राज्य एकीकृत औद्योगिक टाउनशिप (750 एकड़), मेडिकल डिवाइस पार्क (350 एकड़) और यीडा क्षेत्र में फिनटेक पार्क जैसी सुविधाओं के साथ जीसीसी विकास का भी समर्थन करता है।
  • वर्तमान में कानपुर, लखनऊ, प्रयागराज, नोएडा और मेरठ में एसटीपीआई कार्यरत हैं, जो लगभग 300 पंजीकृत आईटी इकाइयों को सेवा प्रदान कर रहे हैं, तथा आगरा, बरेली, गोरखपुर और वाराणसी में नए एसटीपीआई स्थापित करने की योजना है।