प्लेन के अंदर कैसे काम करता है वाईफाई, 2 टेक्निक से संभव होता है यह
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विमान 30 हज़ार फ़ीट से भी ज़्यादा ऊँचाई पर उड़ान भरते हैं। फिर भी विमान में वाईफाई की सुविधा दी जाती है। इस लेख में बताया गया है कि वाईफाई कैसे काम करता है।
विमान यात्रा के दौरान सीटों के सामने लगी स्क्रीन पर अपनी पसंदीदा वीडियो देख सकते हैं। साथ ही वाईफाई का इस्तेमाल करके मोबाइल पर संदेश/मेल भी भेज सकते हैं। विमान किस तरह नेटवर्क से जुड़ते हैं, आइए जानते हैं।
वाईफाई का मतलब है वायरलेस नेटवर्क। घर में टीवी, लैपटॉप, गेमिंग कंसोल, स्मार्ट असिस्टेंट, वायरलेस डोरबेल आदि में वाईफाई का इस्तेमाल होता है। इसके ज़रिए सभी उपकरणों को बिना तार के इंटरनेट से जोड़ा जाता है।
होटल, कॉफ़ी शॉप, दफ़्तर या अन्य जगहों पर भी वाईफाई की सुविधा मिलती है। इसका इस्तेमाल करने के लिए वाईफाई पासवर्ड डालना होता है। लेकिन विमान मोबाइल टावरों से ऊपर उड़ान भरते हुए भी नेटवर्क से कैसे जुड़ते हैं? दो तरीक़ों से विमान नेटवर्क से जुड़ते हैं।
1. एयर-टू-ग्राउंड (ATG) नेटवर्क
विमान के नीचे एक एंटीना लगा होता है। यह एंटीना नज़दीकी मोबाइल टावर से संपर्क करता है। एंटीना से सिग्नल केबिन सर्वर, फिर ऑन-बोर्ड राउटर और अंत में यात्रियों तक पहुँचता है, जिससे विमान एक हॉटस्पॉट बन जाता है। एयर-टू-ग्राउंड सिस्टम के लिए विमान का ज़मीन के क़रीब होना ज़रूरी है।
2. उपग्रह नेटवर्क
इसमें भी एंटीना का इस्तेमाल होता है, लेकिन यह विमान के ऊपर लगा होता है। उड़ान के दौरान यह एंटीना नज़दीकी उपग्रह से इंटरनेट कनेक्शन लेता है। सिग्नल ऑन-बोर्ड सर्वर, वाई-फाई राउटर और फिर यात्रियों तक पहुँचता है। इंटरनेट एक्सेस के लिए नैरोबैंड और ब्रॉडबैंड नेटवर्क का इस्तेमाल होता है।