बहुत काम की है मोबाइल की ये वाली सेटिंग्स, डेटा रहेगा सेफ
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हम सब मोबाइल इस्तेमाल करते हैं। ये आजकल सबके लिए ज़रूरी चीज़ बन गया है। हमारी सारी जानकारी इसी में होती है। पर्सनल फोटोज़, वीडियो, पते, और कुछ सीक्रेट जानकारी भी हम मोबाइल में ही रखते हैं। क्या आपको यकीन है कि आपकी ये सारी जानकारी किसी और को नहीं पता?
जब भी आप कोई ऐप अपने फ़ोन में इंस्टॉल करते हैं, तो वो कुछ परमिशन मांगता है। कॉन्टैक्ट्स, मैसेज देखने के लिए परमिशन मांगता है। फोटोज़, वीडियो देखने के लिए परमिशन मांगता है। अगर आप allow नहीं करेंगे, तो ऐप इंस्टॉल नहीं होगा। इसलिए हम जानते हुए या अनजाने में allow कर देते हैं। यहीं पर हमारा पर्सनल डेटा दूसरों के हाथ लग जाता है।
मोबाइल खरीदते समय कुछ सेटिंग्स पहले से ही ऑन होती हैं। आपकी मोबाइल कंपनी इन्हें डिफ़ॉल्ट रूप से सेट करती है। इनमें से ज़्यादातर ऑप्शन हमारे लिए अच्छे होते हैं, लेकिन कुछ ऑप्शन ऐसे भी होते हैं जो हमारा डेटा दूसरों तक पहुँचा सकते हैं।
अपने अकाउंट्स, पासवर्ड्स, पर्सनल डेटा को सुरक्षित रखने के लिए आपको क्या करना चाहिए..
अपने फ़ोन की सेटिंग्स खोलें।
उसमें गूगल पर क्लिक करें
उसमें ऑटोफिल ऑप्शन पर क्लिक करें
फिर ऑटोफिल विथ गूगल पर क्लिक करें
आने वाले ऑप्शन में प्रेफरेंसेस पर क्लिक करें
फिर सबसे पहले दिखने वाले दोनों बटन्स को ऑन करें
दोनों बटन्स में क्या है..
प्रेफरेंसेस में ‘authenticate with screen lock or biometrics before filling in payment methods’
‘authenticate with biometrics before filling in passwords’ ये दो ऑप्शन होंगे। इन दोनों के आगे वाले बटन्स को ऑन करना है। इसका मतलब है कि आपके मोबाइल में कोई भी पेमेंट से जुड़ा लॉक खोलने के लिए या स्क्रीन लॉक खोलने के लिए आपका बायोमेट्रिक देना होगा। ये दोनों बटन्स ऑन करने के बाद आपके बायोमेट्रिक के बिना आपके मोबाइल में आपका यूजर नेम, पासवर्ड डालने पर भी वो नहीं खुलेगा।
इससे क्या फायदा होगा..
इस तरह ऑथेंटिकेशन करने से अगर कोई जान पहचान वाला आपका मोबाइल इस्तेमाल करना चाहेगा, तो उसे बायोमेट्रिक देना होगा। आपको बेवकूफ़ बनाने की किसी की भी कोशिश कामयाब नहीं होगी। दूसरी बात ये है कि आजकल मोबाइल डेटा को आसानी से हैक किया जा सकता है। अगर कोई आपका यूजर नेम, पासवर्ड चुरा भी लेता है, तो आपके बायोमेट्रिक के बिना वो कुछ नहीं कर पाएगा। आपकी सारी जानकारी सुरक्षित रहेगी। साइबर क्राइम होने की संभावना कम हो जाएगी।