सार
इंटर्नशिप के लिए बेंगलुरु आई एक युवती का रात 10:30 बजे फ़ोन बंद हो गया। रास्ता पता नहीं, कोई जान पहचान वाला नहीं, फ़ोन भी नहीं। लेकिन उस रात दिल खुश हो गया, यही असली बेंगलुरु है, युवती ने बताया। आख़िर रात 10:30 बजे क्या हुआ?
बेंगलुरु. सिलिकॉन सिटी बेंगलुरु में हर रोज़ नौकरी, पढ़ाई, ट्रेनिंग वगैरह के लिए हज़ारों लोग आते हैं। भारत के बड़े शहरों में से एक है बेंगलुरु। बाहर से आने वालों को उत्सुकता के साथ-साथ थोड़ी घबराहट भी होती है। ऐसे ही इंटर्नशिप के लिए एक लड़की दूसरे राज्य से बेंगलुरु आई। भाषा नहीं आती, जगह के बारे में भी जानकारी नहीं। रात 10:30 बजे लड़की का फ़ोन बंद हो गया। बुक की हुई यूलू बाइक सर्विस का चार्ज भी ख़त्म। रास्ता नहीं पता, कोई जान पहचान वाला नहीं। अँधेरा छा गया। लेकिन डरी हुई लड़की को असली बेंगलुरु की दिलदारी का पता चला। इस बारे में लड़की ने रेडिट पर लिखा।
कुछ अजीब घटनाएँ घटीं, कहकर उसने अपना बेंगलुरु का अनुभव बताया। कुछ दिन पहले मैं बेंगलुरु आई थी। इंटर्नशिप के लिए आई थी। शाम को मैं और मेरी दोस्त इंदिरानगर के एक रेस्टोरेंट में गईं। खाना खाने के बाद हम दोनों वहाँ से निकलीं। मेरी दोस्त का रास्ता अलग था, मेरा एचएसआर लेआउट। मैंने यूलू बाइक सर्विस बुक की थी। एचएसआर लेआउट जाते हुए बाइक में सिर्फ़ 10 से 13 कि.मी. का चार्ज बचा था। मेरे फ़ोन में 40 प्रतिशत चार्ज था।
मैप देखते हुए थोड़ी दूर जाते ही मेरे फ़ोन का चार्ज 30 प्रतिशत हो गया। सिग्नल रेड था। इसलिए ग्रीन होने का इंतज़ार कर रही थी। अचानक बैटरी लो होकर फ़ोन बंद हो गया। सिग्नल पर खड़ी मुझे समझ नहीं आ रहा था कि क्या करूँ। क्योंकि एचएसआर लेआउट का रास्ता पता नहीं। आगे जाने के लिए यूलू बाइक में भी चार्ज नहीं। शहर नया, भाषा नहीं आती। साथ ही रात के 10:30 बज रहे थे, लड़की ने रेडिट पर बताया।
फ़ोन बंद होते ही मेरी घबराहट बढ़ गई। कोई रास्ता न देखकर पास में स्कूटर पर बैठे एक आदमी से पूछा कि एचएसआर लेआउट कैसे जाऊँ? रास्ता बताएँगे? स्कूटर वाले अंकल ने दोस्ताना अंदाज़ में रास्ता बताया। फिर थोड़ी हिम्मत करके अपनी हालत बताई। तुरंत अंकल ने स्कूटर से चार्जिंग केबल निकालकर फ़ोन चार्ज करने के लिए लगाया। अंकल की स्कूटर से फ़ोन चार्ज करने की कोशिश कामयाब नहीं हुई। क्योंकि मेरा फ़ोन किसी भी तरह चार्ज नहीं हो रहा था। तभी सिग्नल ग्रीन हो गया। मेरी घबराहट और बढ़ गई।
मैं सड़क के किनारे जाना चाहती थी। अंकल अपनी स्कूटर से मुझे सड़क के किनारे ले गए। फ़ोन चार्ज करने की कोशिश की। लेकिन नहीं हुआ। फिर अंकल ने अडैप्टर और केबल देकर कहा, बेटी, पास में कुछ दुकानें हैं। वहाँ चार्ज कर लो। अपने ऑफ़िस आते समय चार्जर ले लूँगा। थोड़ी दूर आगे जाकर मैंने एक डोसा होटल में फ़ोन चार्ज करने के लिए कहा। उन्होंने हाँ कहकर मेरा फ़ोन चार्ज करने दिया। डोसा होटल के मालिक, कर्मचारियों ने मेरी मदद की। फ़ोन चार्ज करके ऑन किया, फिर मैप देखकर पीजी पहुँच गई। सभी अजनबी थे। लेकिन सबने मेरी मदद की। मैं सुरक्षित पीजी पहुँच गई। अंकल और डोसा होटल वाले को धन्यवाद। शुरुआती दिन में ही बेंगलुरु में अच्छा अनुभव हुआ, कहकर लड़की ने बेंगलुरु वालों की दिलदारी की तारीफ़ की।