सार

इन दिनों फेसबुक, व्हाट्सएप और इंस्टाग्राम (Facebook, whatsapp and Instagram) पर फर्जी प्रोफाइल (Fake profile) बनाकर ठगी (Online Fraud) की जा रही है। इसमें किसी शख्स के नाम से आईडी बनाकर उसके दोस्तों और रिश्तेदारों से इमरजेंसी बताकर पैसे मांगे जा रहे हैं। 

नई दिल्ली। साइबर क्राइम करने वाले अपराधियों के हौसले किस कदर बुलंद हैं यह इस एक मामले से समझा जा सकता है। इसे हद पार करना ही कहा जाएगा, जब एक आईपीएस अधिकारी को भी साइबर अपराधियों ने निशाना बना लिया। मामला बुलंदशहर के डीआईजी संतोष कुमार सिंह से जुड़ा है। 

दरअसल, साइबर क्राइम जगत में अपराधियों ने नया ट्रेंड बनाया है। इसमें सोशल मीडिया के विभिन्न प्लेटफॉर्म पर आपकी क्लोन आईडी बनाकर नजदीकी दोस्तों और रिश्तेदारों से संदेश भेजकर आपात स्थिति के लिए पैसा मांगा जाता है। ऑनलाइन ठगी ऐसी चीज है, जिसके झांसे में समझदार और पढ़े-लिखे लोग भी आ जाते हैं। सतर्कता और जागरूकता के अभाव की वजह से अपराधी इसमें सफल भी हो जाते हैं। एशियानेट हिंदी ऑनलाइन ठगी से बचने के लिए जागरुकता अभियान चला रहा है। इस कड़ी में आज हम आपको फेक फ्रेंड यानी फर्जी दोस्त बनकर की जाने वाली ठगी के बारे में बता रहे हैं। 

फेक आईडी पर नाम और फोटो सब कुछ वही रखी जाती है 
ताजा मामला बुलंदशहर में हाल ही में डीआईजी पद पर प्रमोट हुए संतोष कुमार सिंह का है। किसी साइबर अपराधी ने संतोष कुमार सिंह की न सिर्फ फर्जी फेसबुक आईडी बना ली बल्कि, उनके करीबी रिश्तेदारों समेत दोस्तों से इमरजेंसी के लिए पैसे मांगने भी शुरू दिए। यही नहीं, अपराधी ने वर्दी वाली फोटो भी प्रोफाइल में लगा रखी थी। इसलिए  लोग एक बारगी को भरोसा भी कर ले रहे थे। अपराधी ने संतोष कुमार सिंह के एक दोस्त से 25 हजार रुपए मांग भी लिए थे। 

फर्जी आईडी को ब्लॉक कराया, केस भी दर्ज हुआ 
कुछ  लोगों ने इस बारें में संतोष कुमार सिंह से पूछा तो वे हैरान रह गए। उन्होंने तुरंत अपनी असली फेसबुक आईडी से अपील संदेश लिखा। संदेश में उन्होंने कहा, साथियों किसी ने मेरी फोटो लगाकर फेक फेसबुक आईडी बनाई है। पैसों की मांग कर रहा है। कृपया ब्लॉक करने का कष्ट करें। कुछ देर बाद संतोष कुमार सिंह ने एक संदेश और लिखते हुए बताया कि फेक आईडी को ब्लॉक करा दिया गया है। मामला दर्ज कराया जा रहा है। सहयोग के लिए आप सभी का आभार। 

फेक प्रोफाइल बनाने का असल मकसद क्या 
साइबर अपराधी आजकल लूटने के लिए ठगी के इस चलन का प्रयोग अधिक कर रहे हैं। इसमें करीबी दोस्तों और रिश्तेदारों से फेसबुक और इंस्टाग्राम पर नई रिक्वेस्ट भेजी  जाती है। इसमें जो आईडी बनाई जाती  है, वह मौजूदा और असली आईडी की ही कापी होती है। इसमें फोटो और नाम सब कुछ वही रखा जाता है। इसके बाद आपात स्थिति का हवाला देकर पैसे की मांग की जाती है। असली और नकली दोनों आईडी इतनी मिलती-जुलती हैं कि पहचान करना मुश्किल हो जाता है कि कौन सी आईडी फेक और कौन सी रियल। 

फर्जी प्रोफाइल से बचने के तरीके 
- जिसकी फ्रेंड रिक्वेस्ट आई है, पहले उसकी जांच कर लें। संदेह हो रहा है, तो स्वीकार नहीं करें। 
- फ्रेंड रिक्वेस्ट एक्सेप्ट करने से पहले उस आईडी पर फ्रेंड लिस्ट, टाइमलाइन और फोटो लिस्ट आदि चेक करें। 
- पूरी जानकारी जांचें और म्युचुअल फ्रेंड्स लिस्ट देखें 
- आईडी क्रिएशन डेट और फोटो अपलोड की टाइमिंग देखें 
- शक हो रहा है तो तुरंत संबंधित व्यक्ति को  फोन या मैसेज करके पूछ लें। फेक आईडी है तो तुरंत रिपोर्ट करते हुए ब्लॉक कर दें। 

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