सार
जस्टिस टी अमरनाथ गौड़ ने प्रदेश के अधिकारियों और अपोलो हॉस्पिटल को आगे बढ़ने का निर्देश दिया। बहन माधुरी बल्लामुडी को उसके बड़े भाई वेंकट नरेन कार्लापलेम ने किडनी देने की बात कही थी।
हैदराबाद. तेलंगाना हाईकोर्ट ने एक मामले में फैसला सुनाते हुए कहा कि पत्नी की सहमति के बिना पति अपनी बीमार बहन को किडनी दान कर सकता है। कोर्ट ने पति के कॉनसेंट फॉर्म पर पत्नी के सिग्नेचर के बिना ही किडनी दान की अनुमति दे दी। इसके पीछे वजह ये थी कि पति-पत्नी अलग हो गए थे।
जस्टिस टी अमरनाथ गौड़ ने प्रदेश के अधिकारियों और अपोलो हॉस्पिटल को आगे बढ़ने का निर्देश दिया। बहन माधुरी बल्लामुडी को उसके बड़े भाई वेंकट नरेन कार्लापलेम ने किडनी देने की बात कही थी। नरेन का पत्नी के साथ तलाक का मामला अभी कोर्ट में है। इसी वजह से मामला कोर्ट तक पहुंचा।
भाई-बहन पहुंचे थे कोर्ट
रामकृष्णपुरम में रहने वाले वेंकट और तरनाका में रहने वाली उनकी छोटी बहन ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था कि वे किडनी देने के लिए सहमत हैं। इससे पहले 30 जुलाई को अपोलो हॉस्पिटल ने किडनी की प्रक्रिया आगे बढ़ाने से मना कर दिया था, क्योंकि पत्नी की अनुमति की बात सामने आई थी।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, पीटीशनर के वकील प्रभाकर श्रीपदा ने कोर्ट को बताया कि हॉस्पिटल के डॉक्टरों ने डोनर की जांच की और उसे किडनी डोनेशन के लिए फिट पाया।
पत्नी ने फोन कर दिया ब्लॉक
वकील ने कोर्ट को बताया कि हमने डोनर की पत्नी की सहमति लेने की कोशिश की, लेकिन उन्होंने हमारी बात सुनने के बाद कॉल ब्लॉक कर दिया। ऐसे में इसकी कम ही उम्मीद है कि वे किडनी देने में डोनर पति का साथ देंगी। इसपर कोर्ट ने कहा कि डोनर की बहन माधुरी की किडनी पूरी तरह से खराब हो चुकी है। उनका भाई अपनी किडनी डोनेट करना चाहता है। ऐसे में उनकी पत्नी की वजह से डोनेशन से इनकार नहीं किया जा सकता है।
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