सार
एस्किमो (Eskimo) पुनर्जन्म में भरोसा करते हैं। परिवार में कोई बुजुर्ग सदस्य बीमार पड़ता है या मौत के करीब होता है तो बर्फ के टुकड़े पर लिटाकर समुद्र या फिर नदी में धारा के साथ छोड़ दिया जाता है।
नई दिल्ली। 21वीं सदी चल रही है, इंसान चांद पर पहुंच गया है। मगर दुनियाभर में आज भी ऐसी कई अजीबो-गरीब प्रथाएं हैं, जो न सिर्फ दर्दनाक हैं बल्कि अमानवीय भी हैं। तमाम जातियों के लोग परंपराओं और मान्यताओं के नाम पर अपने ही परिजनों से अत्याचार करते हैं। कुछ देशों में प्रथाएं ऐसी भी हैं, जिन्हें जानकर आपकी आत्मा कांप उठेगी।
ऐसा ही एक मामला एस्किमो समुदाय में है। एस्किमो जनजाति के लोग बर्फ में भी घर बसा लेते हैं। ये तमाम कठिनाइयों का सामना करते हुए अपना जीवन काटते हैं। इनका रहन-सहन और डेली लाइफ आम तौर पर इंसानों के अनुकूल नहीं होती। यहां का वातावरण हड्डियों तक को जमा देता है, मगर ये इस कठिन जगह भी अपना जीवन कई सदियों से काटते आ रहे हैं।
कद-काठी नाटी होती है और बनावट मंगोलों जैसी
इनकी जिंदगी आम इंसान से काफी अलग होती है। इनकी कद-काठी बेहद छोटी होती है। लंबाई अमूमन 150 से 160 सेंटीमीटर तक होती है। सिर लंबा, गाल की हड्डी ऊंची और आंखें गहरी होती हैं। मंगोल लोगों से इनकी बनावट मिलती-जुलती है। जिस क्षेत्र में रहते हैं, वहां बर्फ की चादर पूरे साल ढंकी रहती है। पेड़-पौधे नहीं उगते। शिकार भी बड़ी मुश्किल से मिलता है।
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पुनर्जन्म के लिए समुद्र में छोड़ देते हैं
इनकी जिंदगी बेहद अजीब होती है और संस्कृति बिल्कुल अलग। इस समुदाय में कोई मुखिया नहीं होता। सभी को समान अधिकार होता है। घर का बुजुर्ग जब मरने के करीब होता है और असहाय स्थिति में पहुंच जाता है, तो उसे बर्फ की सिल्ली पर लिटाकर नदी या समुद्र में छोड़ दिया जाता है। उनका विश्वास है कि वह व्यक्ति अगले जन्म में उनके घर जन्म लेगा। हालांकि, अलग-अलग क्षेत्रों अंतिम संस्कार की परंपरा अलग है। एशियाई एस्किमो मृतकों को जला देते हैं। वहीं, ग्रीन लैंड में रहने वाले एस्किमो शव को समुद्र में तैराकर छोड़ देते हैं। अलास्का के एस्किमो मृतक परिजनों को दफनाते हैं और कब्र को पत्थरों से छिपा देते हैं।
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