सार

एडल्ट मूवीज को ब्लू फिल्म ही क्यों कहा जाता है। किसी और कलर से इसे क्यों नहीं संबोधित किया जाता है। फिल्म एडल्ट है, इसका पता इसके शुरू होने से पहले ही कैसे लगाया जा सकता है। 

नई दिल्ली। ज्यादातर लोगों को फिल्में देखने का शौक होता है। कोई बॉलिवुड फिल्मों का दीवाना होता है, तो कोई साऊथ इंडियन। किसी को हॉलिवुड फिल्में पसंद होती हैं, तो किसी को भोजपुरी, बांग्ला या फिर पंजाबी और मराठी। ज्यादातर लोग फिल्में सिनेमाहॉल यानी थिएटर में देखना पसंद करते हैं। 

वहीं, कुछ लोग मोबाइल पर फिल्में देखकर टाइम पास कर लेते हैं, क्योंकि महंगे टिकट और समय की कमी के कारण वे थिएटर नहीं जाना चाहते। इसके अलावा, अब ओटीटी प्लेटफॉर्म पर भी फिल्में रिलीज होती हैं, जिन्हें मोबाइल या कंप्यूटर/लैपटॉप पर ही देखा जा सकता है। लोग इन फिल्मों को अपनी सुविधा अनुसार कहीं भी और कभी भी देख सकते हैं। ऐसे में थिएटर का क्रेज लोगों में कम हो रहा है। 

फिल्मों को जारी किए जाते हैं सर्टिफिकेट 
फिल्में अगर आप देखते हैं तो यह जरूर जानते होंगे कि कोई फिल्म शुरू होने से पहले उसका नाम और रजिस्ट्रेशन से जुड़ा सर्टिफिकेट दिखाया जाता है। इसमें तमाम जरूरी जानकारी के साथ इस बात का जिक्र होता है कि फिल्म को किस ग्रेड में रखा गया है यानी इसका दर्शक वर्ग क्या होगा। अगर अ या यू लिखा है तो इसे कोई भी सपरिवार देख सकता है। फिल्म में अश्लीलता नहीं होगी और इसे नाबालिग भी देख सकते हैं। 

हिंसक और अश्लील कंटेट वाले फिल्मों को व/ए का सर्टिफिकेट मिलता है 
वहीं, अगर इसे व या ए का सर्टिफिकेट दिया गया है तो इसका मतलब है कि फिल्म अश्लील और इसमें हिंसा व अपशब्दों का इस्तेमाल भी किया गया है, इसलिए नाबालिग लोग इसे नहीं देख सकते। यह फिल्म सिर्फ वयस्कों के लिए है। कुछ फिल्मों को अ/यू और व/ए दोनों सटिफिकेट मिलता है। इसका मतलब यह है कि फिल्म को दोनों तरह के लोग देख सकते हैं। अब यह देखने वाले पर निर्भर करता है कि वह इस फिल्म को देखे या नहीं। 

एडल्ट फिल्मों के कैसेट और पोस्टर ब्लू रंग के होते थे 
अब बात करते हैं ब्लू फिल्मों की। दरअसल, आपने ज्यादातर बी और सी ग्रेड फिल्मों के पोस्टर नीले यानी ब्लू रंग में देखे होंगे। इसके अलावा, सामान्य फिल्मों के कैसेट सफेद रंग के होते थे, जबकि अश्लील यानी एडल्ट फिल्मों के कैसेट और बैग ब्लू कलर के होते थे। ऐसे में इन फिल्मों को ब्लू फिल्म कहा जाता था। 

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