सार

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, हर ग्रह एक निश्चित समय के बाद राशि बदलता है। सूर्य हर 30 दिन बाद राशि बदलता है। इसी बार सूर्य 14 अप्रैल, गुरुवार को राशि बदलकर मीन से मेष में प्रवेश करेगा। सूर्य के राशि परिवर्तन को संक्रांति कहा जाता है।

उज्जैन. सूर्य के मेष राशि में प्रवेश को मेष संक्रांति (Mesh Sankranti 2022) कहा जाएगा। सूर्य के राशि बदलते ही मल मास समाप्त हो जाएगा और शुभ कार्यों पर लगी रोक भी हट जाएगी। चूंकि मेष राशि क्रम की पहली राशि है इसलिए इसी दिन से सौर वर्ष की शुरूआत भी होगी। इस राशि में सूर्य उच्च का फल देता है। इस दिन स्नान, दान, पूजा आदि का विशेष महत्व माना गया है। आगे जानिए मेष संक्रांति से जुड़ी खास बातें…
 
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मेष संक्रांति पर कब से तक रहेगा पुण्यकाल
उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. प्रवीण द्विवेदी के अनुसार, मेष संक्रांति पर पवित्र नदी में स्नान कर सूर्य को अर्घ्य देने और उसके बाद जरूरतमंदों को दान करने का विशेष महत्व धर्म ग्रंथों में बताया गया है। 14 अप्रैल, गुरुवार को सूर्योदय से ही पुण्यकाल की शुरूआत हो जाएगी जो दोपहर लगभग 1 बजे तक रहेगी। यानी इस दौरान किए गए शुभ कार्यों का कई गुना पुण्य मिलेगा। जिन लोगों की कुंडली में सूर्य अशुभ स्थिति में है, वे लोग इस दिन विशेष उपाय करें तो उनकी परेशानियां दूर हो सकती हैं।

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शुभ फल पाने के लिए करें ये उपाय
धर्म ग्रंथों के अनुसार मेष संक्रांति पर सूर्य से संबंधित कुछ खास उपाय करने से उसके अशुभ फलों में कमी आती है। सूर्य पूजा के इस पर्व पर सूर्य से संबंधित चीजें जैसे तांबे का बर्तन, लाल कपड़े, गेहूं, गुड़, लाल चंदन आदि का दान करें। गाय को हरा चारा खिलाएं। किसी ब्राह्मण को घर बुलाकर भोजन करवाएं व लाल वस्त्रों का दान करें। इससे भी सूर्य भगवान प्रसन्न होते हैं।

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सूर्य के राशि बदलते ही खत्म होगा मल मास
14 अप्रैल को सूर्य के मेष राशि में आते ही एक महीने से चल रहा मल मास समाप्त हो जाएगा और मांगलिक कामों पर लगी रोक भी हट जाएगी। इसके बाद विवाह, मुंडन आदि शुभ कार्य किए जा सकेंगे। उल्लेखनीय है कि 14 मार्च से सूर्य के मीन राशि में होने से मल मास चल रहा था, जिसका समापन 14 अप्रैल, गुरुवार को हो जाएगा। धर्म ग्रंथों में संक्रांति यानी सूर्य के राशि परिवर्तन को पर्व यानी उत्सव कहा गया है। सूर्य जब मेष राशि में आता है तो उच्च के फल प्रदान करता है। इसलिए इस दिन का विशेष महत्व है।

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