सार
Chhath Puja Upay: ज्योतिष शास्त्र में कुल 9 ग्रह बताए गए हैं, इनमें से दो ग्रह हमें प्रत्यक्ष दिखाई देते हैं- सूर्य और चंद्रमा। सूर्य को सौर मंडल का राजा भी कहा जाता है। इस ग्रह का जितना महत्व ज्योतिष में है, उतना ही धर्म में भी है।
उज्जैन. हिंदू धर्म में सूर्य पूजा के लिए कई व्रत-त्योहार मनाए जाते हैं, छठ पूजा भी इनमें से एक है। ये पर्व कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि (Chhath Puja 2022) को मनाया जाएगा। इस बार ये तिथि 30 अक्टूबर, रविवार को है। इसे डाला छठ भी कहते हैं। वैसे तो ये पर्व पूरे देश में मनाया जाता है, लेकिन बिहार, उत्तर प्रदेश और झारखंड में इसकी भव्यता देखते ही बनती है। इसे सूर्य पूजा का महापर्व भी कहा जाता है। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. प्रफुल्ल भट्ट के अनुसार, छठ पर्व पर अगर कुछ विशेष उपाय किए जाएं तो सूर्य से संबंधित शुभ फल प्राप्त हो सकते हैं। जिन लोगों की कुंडली में सूर्य अशुभ स्थान पर है, उन्हें इस दिन ये उपाय जरूर करना चाहिए। आगे जानिए इन उपायों के बारे में…
1. छठ पर्व की सुबह स्नान आदि करने के बाद किसी साफ स्थान पर सूर्यदेव की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें। सूर्यदेव को लालफूल चढ़ाएं और गुड़ का भोग लगाएं। इसके बाद लाल चंदन की माला से नीचे लिखे मंत्रों में से किसी एक का जाप करें। कम से कम 5 माला जाप करें-
- ऊं भास्कराय नम:
- ऊं ह्रीं ह्रीं सूर्याय नमः
- ऊं सूर्याय नम:
- ऊं घृणि सूर्याय नम:
2. छठ पर्व की सुबह स्नान आदि करने के बाद तांबे के लोटे में जल लेकर सूर्य को अर्घ्य दें। इस पानी में लाल फूल और कुमकुम भी मिला लें। अर्ध्य देने के बाद सूर्य से संबंधित चीजों जैसे गुड़, गेहूं, तांबे के बर्तन, कंबल, घी आदि का दान करें। इससे सूर्य से संबंधित दोष दूर हो सकते हैं।
3. छठ पर्व पर तांबे का सिक्का या तांबे का चौकोर टुकड़ा किसी नदी में प्रवाहित करें। तांबा सूर्य की धातु है। इसे पानी में प्रवाहित करने से कुंडली में सूर्य मजबूत होता है। अगर ऐसा न कर पाएं तो गुड़ भी नदी में प्रवाहित कर सकते हैं। ये भी सूर्य से संबंधित खाद्य पदार्थ है।
4. किसी योग्य ज्योतिषी से सलाह लेकर छठ पूजा पर सूर्य का रत्न माणिक अपने दाहिने हाथ की अनामिका अंगुली में पहनें। इस रत्न को पहनने से सूर्य दोष से संबंधित अनेक परेशानियां दूर होने लगती है। बिना ज्योतिषी की सलाह के इसे धारण न करें।
5. छठ पूजा की शाम को पीपल के पेड़ के नीचे चौमुखी दीपक जलाएं और सूर्यदेव के मंत्रों का जाप करें। इस उपाय से भी सूर्यदेव प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों पर कृपा बनाए रखते हैं।
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