सार
धर्म ग्रंथों के अनुसार, वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को गंगा सप्तमी (Ganga Saptami 2022) का पर्व मनाया जाता है। इस बार ये उत्सव 8 मई, रविवार को मनाया जाएगा। इस पर्व से जुड़ी कई कथाएं पुराणों में मिलती है।
उज्जैन. गंगा सप्तमी पर गंगा स्नान का विशेष महत्व है, लेकिन ऐसा न कर पाएं तो घर पर ही गंगा जल की बूंदे पानी में डालकर स्नान करने से गंगा स्नान का फल मिल सकता है। गंगा को धरती पर लाने का श्रेय भगवान श्रीराम के पूर्वज भगीरथ को जाता है क्योंकि उन्होंने ने कठिन तपस्या कर गंगा को धरती पर लाने के लिए प्रेरित किया था। गंगा के धरती पर आते ही राजा सगर के 60 हजार पुत्रों को मोक्ष प्राप्त हुआ था। इस कथा का वर्णन रामायण आदि ग्रंथों में मिलता है।
2 शुभ योगो में मनेगा गंगा सप्तमी का पर्व
ज्योतिषियों के अनुसार, 8 मई रविवार को सुबह सूर्योदय पुष्य नक्षत्र में होगा जो दोपहर लगभग 12 बजे तक रहेगा। रविवार को पुष्य नक्षत्र होने से रवि पुष्य का शुभ योग इस दिन बन रहा है। साथ ही श्रीवत्स नाम का एक अन्य शुभ योग भी इस दिन रहेगा। सप्तमी तिथि का आरंभ 7 मई की दोपहर 02:56 से होगा, जो 8 मई की शाम 05 बजे तक रहेगी। सप्तमी की सूर्योदय तिथि 8 मई को होने से इसी दिन गंगा सप्तमी का पर्व मनाया श्रेष्ठ रहेगा।
गंगा जल के उपाय दूर कर सकते हैं आपकी परेशानी
1. हिंदू धर्म में गंगा जल को बहुत ही पवित्र माना गया है। पुराणों के अनुसार, जिस घर में गंगा जल रखा होता है, वहां किसी तरह की कोई परेशानी नहीं होती। अगर घर में कोई निगेटिव शक्ति हो तो वहां रोज सुबह-शाम गंगा जल छिड़कना चाहिए। इससे हर तरह की परेशानी दूर हो सकती है।
2. अगर किसी व्यक्ति पर भी बुरी शक्ति का असर हो तो उस पर ही गंगा जल छिड़कने से उसे राहत मिलती है।
3. गंगा जल को हमेशा पूजा स्थान पर रखना चाहिए, ऐसा करने से घर में सुख-शांति बनी रहती है। कुछ विशेष मौकों पर जैसे अमावस्या, पूर्णिमा आदि पर नहान के पानी में थोड़ा सा गंगा जल मिलाकर स्नान करने से गंगा स्नान का फल मिलता है।
4. जिस घर में वास्तु दोष, वहां भी यदि रोज गंगा जल छिड़का जाए तो उस दोष की शांति संभव है। अमावस्या पर पितरों को शांति के लिए श्राद्ध आदि करते समय गंगा जल का उपयोग करने से पितृ दोष से भी आराम मिलता है।
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