सार
हिंदू धर्म में माघ मास स्नान, तप व उपवास के लिए श्रेष्ठ माना गया है।
उज्जैन. इस बार माघ मास का प्रारंभ 11 जनवरी, शनिवार से हो चुका है, जो 9 फरवरी, रविवार तक रहेगा। धर्म ग्रंथों के अनुसार, इस महीने में यदि विधिपूर्वक भगवान श्रीकृष्ण की पूजा की जाए तो घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है। माघ मास में विधिपूर्वक भगवान माधव की पूजा से पहले सुबह तिल, जल, फूल, कुश लेकर इस प्रकार संकल्प करना चाहिए-
- ऊं तत्सत् अद्य माघे मासि अमुकपक्षे अमुक-तिथिमारभ्य मकरस्त रविं यावत् अमुकगोत्र (अपना गोत्र बोलें) अमुकशर्मा (अपना पूरा नाम बोलें) वैकुण्ठनिवासपूर्वक श्रीविष्णुप्रीत्यर्थं प्रात: स्नानं करिष्ये।
- इसके बाद भगवान श्रीकृष्ण की प्रतिमा या चित्र एक साफ स्थान पर स्थापित करें। गंध, अबीर, गुलाल आदि चढ़ाएं।
- इसके बाद पीले वस्त्र व पीले फूल अर्पित करें। धूप, दीप करें। मौसमी फल चढ़ाएं।
- केसर मिश्रित खीर का भोग लगाएं। खीर में तुलसी के पत्ते अवश्य डालें। इसके बाद भगवान श्रीकृष्ण से सुख-समृद्धि के लिए प्रार्थना करें।
- इसके बाद ये प्रार्थना करें-
दु:खदारिद्रयनाशाय श्रीविष्णोस्तोषणाय: च।
प्रात:स्नानं करोम्यद्य माघे पापविनाशनम्।
मकरस्थे रवौ माघे गोविन्दाच्युत माधव।
स्नानेनानेन मे देव यथोक्तपलदो भव।।
दिवाकर जगन्नाथ प्रभाकर नमोस्तु ते।
परिपूर्णं कुरुष्वेदं माघस्नानं महाव्रतम्।
माघमासमिमं पुण्यं स्नानम्यहं देव माधव।
तीर्थस्यास्य जले नित्यं प्रसीद भगवन् हरे।।
ऐसे ही माघ मास की महिमा
माघ मास की ऐसी महिमा है कि इसमें जहां कहीं भी जल हो, वह गंगाजल के समान होता है, फिर भी प्रयाग, काशी, नैमिषारण्य, कुरुक्षेत्र, हरिद्वार तथा अन्य पवित्र तीर्थों और नदियों में स्नान का बड़ा महत्व है। धर्मग्रंथों के अनुसार, यदि इस प्रकार पूरे मास भगवान श्रीकृष्ण की पूजा की जाए तो वे अपने भक्तों की हर मनोकामना पूरी करते हैं।