सार

हिंदू पंचांग के अनुसार, माघ मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकटा गणेश चतुर्थी का व्रत किया जाता है। इसे तिल चतुर्थी भी कहते हैं।

उज्जैन. इस बार संकटा गणेश चतुर्थी का व्रत 13 जनवरी, सोमवार को है। इस दिन विशेष रूप से भगवान श्रीगणेश व चंद्रमा की पूजा की जाती है। इस व्रत की विधि इस प्रकार है-

ये है पूजा विधि

  • तिल चतुर्थी की सुबह स्नान आदि से निवृत होकर साफ कपड़े पहनें। इसके बाद एक स्वच्छ आसन पर बैठकर भगवान श्रीगणेश की पूजा करें।
  • इसके बाद फल, फूल, चावल, रौली, मौली, पंचामृत से स्नान आदि कराने के पश्चात भगवान गणेश को तिल से बनी वस्तुओं या तिल तथा गुड़ से बने लड्डुओं का भोग लगाएं।
  • इस दिन व्रत रखने वाले व्यक्ति को लाल वस्त्र धारण करने चाहिए। पूजा करते समय पूर्व अथवा उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठें।
  • भगवान गणेश की पूजा करने के बाद उसी समय गणेशजी के मंत्र ऊं श्रीगणेशाय नम: का जाप 108 बार करें।
  • शाम को कथा सुनने के बाद गणेशजी की आरती उतारें। चंद्रमा के उदय होने पर उनका भी पंचोपचार से पूजन करें।
  • इस प्रकार विधिवत भगवान श्रीगणेश का पूजन करने से मानसिक शान्ति मिलने के साथ आपके घर-परिवार के सुख व समृद्धि में वृद्धि होती है।

जानिए संकटा गणेश चतुर्थी का महत्व
धर्म ग्रंथों के अनुसार, तिल चतुर्थी व्रत करने से सुख तथा समृद्धि की प्राप्ति होती है साथ ही भगवान श्रीगणेश की कृपा अपने भक्तों पर बनी रहती है। व्यक्ति को अपने व्यवसाय में बरकत मिलती है, मानसिक शांति प्राप्त होती है व घर में खुशहाली का वातावरण बना रहता है।

दान का विशेष महत्व
इस दिन दान का भी विशेष महत्व धर्म ग्रंथों में लिखा है। उसके अनुसार जो व्यक्ति इस दिन व्रत करने के साथ-साथ दान भी करता है। उसकी हर मनोकामना पूरी होती है और जो व्यक्ति व्रत न रखकर केवल दान ही करता है उसका भी कल्याण होता है। इस दिन गरीब लोगों को गर्म वस्त्र, कम्बल, कपड़े आदि दान कर सकते हैं। भगवान गणेश को तिल तथा गुड़ के लड्डुओं का भोग लगाने के बाद प्रसाद को गरीब लोगों में बांटना चाहिए। लड्डुओं के अतिरिक्त अन्य खाद्य पदार्थ भी बांट सकते हैं।