सार

Nanda Saptami 2022: अगहन मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को नंदा सप्तमी का पर्व मनाया जाता है। इस बार ये तिथि 30 नवंबर, बुधवार को है। इस दिन सूर्यदेव की पूजा विशेष रूप से की जाती है। ये तिथि ज्योतिष उपायों के लिए भी उपयुक्त मानी गई है।
 

उज्जैन. हिंदू धर्म में सूर्यदेव को प्रत्यक्ष देवता कहा जाता है। सूर्य एकमात्र ऐसे देवता हैं जो पंचदेवों में भी शामिल हैं और ग्रहों में भी। महीने में कई बार सूर्य पूजा से जुड़े व्रत-त्योहार मनाए जाते हैं। नंदा सप्तमी (Nanda Saptami 2022) भी इनमें से एक है। ये पर्व अगहन मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को मनाया जाता है। इस बार ये तिथि 30 नवंबर, बुधवार को है। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. प्रवीण द्विवेदी के अनुसार, इस तिथि पर अगर कुछ खास उपाय किए जाएं तो सूर्यदेव से संबंधित शुभ फल पाए जा सकते हैं। जिन लोगों की कुंडली में सूर्य अशुभ स्थिति में हो, उन्हें इस दिन ये उपाय जरूर करने चाहिए। आगे जानिए इन उपायों के बारे में…

सूर्यदेव को जल चढ़ाएं
नंदा सप्तमी पर सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करने के बाद सूर्यदेव को जल चढ़ाएं। इसके लिए तांबे के लोटे में जल लें और इसमें कुंकुम, लाल फूल और थोड़ा चावल डाल लें। अब इस जल से सूर्य को जल दें। इस उपाय से सूर्यदेव प्रसन्न होते हैं और जीवन की समस्याओं का दूर करते हैं।

सूर्यदेव के मंत्रों का जाप करें
नंदा सप्तमी पर सुबह स्नान आदि करने के बाद किसी साफ स्थान पर आसन बिछाएं और पूर्व की ओर मुख करके नीचे लिखे मंत्रों में से किसी एक का जाप करें। मंत्र जाप के लिए लाल चंदन की माला का उपयोग करें। कम से कम 11 माला जाप अवश्य करें। 1 माला का अर्थ है 108 बार। ये हैं सूर्यदेव के मंत्र-
- ऊं घृणिं सूर्य आदित्य:
- ऊं ह्रीं घृणिः सूर्य आदित्यः क्लीं ऊं 
- ऊं ह्रीं ह्रीं सूर्याय नमः 
- ऊं सूर्याय नम: ।
- ऊं घृणि सूर्याय नम: 

सूर्य से संबंधित चीजों का दान करें
नंदा सप्तमी पर सूर्य से संबंधित चीजों का दान जरूरतमंदों को करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है। ये चीजें हैं- गेहूं, गुड़, लाल कपड़ा, कंबल, कुमकुम, लाल चंदन और तांबे के बर्तन। जिन लोगों को भी ये चीजें दान करें, उन्हें दक्षिणा के रूप में थोड़े पैसे भी जरूर दें। ये उपाय आपकी लाइफ की कई परेशानियां दूर हो सकता है।

अलोन व्रत रखें
सूर्य से संबंधित शुभ फल पाने के लिए नंदा सप्तमी पर अलोन व्रत रखें यानी इस दिन उपवास रखें। शाम को एक समय फलाहार करें, लेकिन उसमें नमक नहीं होना चाहिए, इसे ही अलोन व्रत कहते हैं। अलोन व्रत मुख्य रूप से सूर्यदेव को प्रसन्न करने के लिए ही किया जाता है।


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