सार

Pitru Dosh: हिंदू धर्म में मृत पूर्वजों को पितृ कहा जाता है और इनकी भी देवताओं की तरह पूजा की जाती है। प्रत्येक अमावस्या तिथि के स्वामी पितृों का माना जाता है, वहीं शुक्ल पक्ष को देवताओं का दिन और कृष्ण पक्ष को पितरों की रात्रि कहा जाता है।
 

उज्जैन. हिंदू धर्म ग्रंथों में पितृों के बारे में काफी कुछ लिखा गया है। इसके अनुसार, जिन लोगों पर पितरों की कृपा बनी रहती है, उनके अपने जीवन में सभी सुख प्राप्त होते हैं, वहीं जिनसे पितृ नाराज हो जाते हैं, उन्हें अपने जीवन नें अनेक परेशानियों का सामना करना पड़ता है। लक्ष्मी नारायण संहिता के अनुसार, अगहन मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को पितरों की उत्पत्ति हुई थी। इसलिए ये तिथि पितरों की पूजा के लिए बहुत ही खास मानी गई है। इससे पितृ दोष (Pitru Dosh Upay) के अशुभ प्रभाव भी कम होते हैं। इस बार ये तिथि 25 नवंबर, शुक्रवार को है। आगे जानिए इस दिन क्या-क्या उपाय करें व अन्य खास बातें…

कौन-कौन से शुभ योग बनेंगे इस दिन?
पंचां के अनुसार, अगहन मास के शुक्ल पक्ष की द्वितिया तिथि 24 नवंबर, गुरुवार की रात 01:37 से 25 नवंबर, शुक्रवार की रात 10:35 तक रहेगी। इस दिन ज्येष्ठा नक्षत्र होने से चर नाम का शुभ योग दिन भर रहेगा, वहीं सुकर्मा और धृति नाम के 2 अन्य शुभ योग भी इस दिन बन रहे हैं। नारद पुराण के अनुसार, इस तिथि पर पितरों की पूजा से अच्छी सेहत और सुख-समृद्धि मिलती है। 

पितृ दोष की शांति के लिए ये उपाय करें…
1.
25 नवंबर, शुक्रवार को किसी नदी में स्नानकर पितरों के लिए जल अर्पण करें। इसके लिए अपनी हथेलियों में जल लेकर अंगूठे के माध्यम से उसे धरती पर नदी में ही छोड़ दें। ऐसा करते समय अपने पितरों का ध्यान करते ऊं पितृ देवताभ्यो नम: मंत्र का जाप करें।
2. तांबे के लोटे में जल लेकर उसमें दूध, जौ, तिल, चावल और सफेद फूल डालकर उसे पीपल पर चढ़ा दें। पीपल का वृक्ष भी पितरों का प्रतीक माना गया है। ये उपाय करने से भी पितृ प्रसन्न होते हैं और अपने वंशजों को आशीर्वाद प्रदान करते हैं।
3. शुक्रवार को किसी योग्य ब्राह्मण को अपने घर बुलाकर विधि-विधान से श्राद्ध करें। इसके बाद ब्राह्मण को भोजन करवाएं और अपनी इच्छा अनुसार, दान-दक्षिणा देकर विदा करें। इससे पितरों की कृपा आप पर सदैव बनी रहेगी।
4. अगहन शुक्ल द्वितिया तिथि पर जरूरतमंदों को अपनी इच्छा अनुसार, कपड़े, अनाज, भोजन, बर्तन आदि चीजों का दान करें। साथ ही अपनी शक्ति के अनुसार कुछ पैसे भी दक्षिणा के रूप दें। इस उपाय से भी पितृ दोष की शांति होती है।
5. 25 नवंबर को किसी गौशाला में गाय के चारा दान करें। मछलियों के लिए आटे की गोलियां बनाकर तालाब या नदी में डालें। कुत्ते को रोटी खिलाएं। पक्षियों के लिए छत पर अनाज और पानी रखें। इससे पितृ दोष की शांति होती है।


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