सार
Pradosh Vrat 2022:24 अगस्त, बुधवार को भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि होने से इस दिन प्रदोष व्रत किया जाएगा। इस व्रत में भगवान शिव की पूजा करने का विधान है। ये व्रत करने से घर में सुख-समृद्धि और खुशहाली बनी रहती है।
उज्जैन. धर्म ग्रंथों में भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए अनेक व्रत बताए गए हैं। ऐसा ही एक व्रत है प्रदोष। ये व्रत प्रत्येक महीने के दोनों पक्षों की त्रयोदशी तिथि पर किया जाता है। यानी महीने में 2 और साल में 24 बार। ये तिथि जिस भी दिन होती है, उसी के अनुसार इसका नाम हो जाता है, जैसे इस बार प्रदोष व्रत 24 अगस्त, बुधवार को किया जाएगा तो ये बुध प्रदोष (Pradosh Vrat August 2022) कहलाएगा। इसी प्रकार रविवार को होने पर ये रवि प्रदोष और शनिवार को होने से शनि प्रदोष कहलाता है।
किन लोगों को जरूर करना चाहिए ये व्रत?
वैसे तो प्रदोष व्रत सभी को करना चाहिए क्योंकि ऐसा करने भगवान शिव प्रसन्न होते हैं उनकी कृपा हम पर बनी रहती है। जिससे हमारे घर-परिवार में सुख-समृद्धि का वास रहता है। लेकिन जिन लोगों की कुंडली में चंद्रमा अशुभ स्थिति में हो, उन्हें ये व्रत विशेष रूप से करना चाहिए। ऐसा करने से उन्हें चंद्रमा से संबंधित शुभ फल प्राप्त होते हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, जिस व्यक्ति की कुंडली में चंद्रमा अशुभ स्थिति में होता है, उसे कई तरह की मानसिक परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
चंद्रमा से जुड़ी है इस व्रत की कथा
- पौराणिक कथाओं के अनुसार, ब्रह्मा के मानस पुत्र दक्ष प्रजापति की 27 कन्याएं थीं, जिनका विवाह उन्होंने चंद्रमा से करवाया। लेकिन चंद्रमा अपनी 27 पत्नियों में से रोहिणी से सबसे अधिक प्रेम करते थे।
- ये बात चंद्रमा की अन्य पत्नियों को पसंद नहीं थी। इस वजह से वे काफी दुखी भी रहती थी। एक दिन उन्होंने ये बात जाकर अपने पिता दक्ष प्रजापति को बता दी। ये सुनकर वे बहुत क्रोधित हुए।
- दक्ष प्रजापति ने क्रोध में आकर चंद्रमा को क्षय रोग होने का श्राप दे दिया। इस श्राप के प्रभाव से चंद्रदेव की आभा यानी चमक धीरे-धीरे कम होने लगी और वे तेजहीन हो गए। ये देख अन्य देवता भी चिंतित होने लगे।
- तब इस श्राप से मुक्ति के लिए चंद्रमा और रोहिणी ने संयुक्त रूप से भगवान शिव की आराधना की। इनके तप से प्रसन्न होकर शिवजी प्रसन्न हुए और उन्होंने चंद्रमा को श्राप मुक्त कर अपने मस्तक पर धारण कर लिया।
- जब शिवजी ने चंद्रमा को श्राप मुक्त किया, उस समय प्रदोष तिथि थी। इसलिए कहा जाता है कि प्रदोष व्रत करने से शिवजी प्रसन्न होते हैं। इसलिए जिन लोगों की कुंडली में चंद्रमा अशुभ स्थिति में हो, उन्हें प्रदोष व्रत जरूर करना चाहिए।
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