सार

इस बार 30 अप्रैल, शनिवार को वैशाख मास की अमावस्या (Shanishchari Amavasya 2022) है। इस दिन सूर्य और चंद्रमा एक साथ मेष राशि में रहेंगे। चंद्रमा अश्विनी नक्षत्र में रहेगा और सूर्य भरणी नक्षत्र में।

उज्जैन. ज्योतिषियों के अनुसार, अश्विनी नक्षत्र के स्वामी अश्विनी कुमार हैं और भरणी नक्षत्र के यम। इस दिन पितरों के निमित्त श्राद्ध, तर्पण आदि करने से सेहत अच्छी बनी रहेगी और सुख-समृद्धि भी बढ़ेगी। धर्म ग्रंथों में वैशाख अमावस्या को पितृ अमावस्या भी कहा जाता है। ये अमावस्या शनिवार को होने से इस दिन पितरों की विशेष पूजा की जाए तो रोग, शोक और दोष भी खत्म हो जाते हैं। इस दिन तीर्थ स्थान पर नहाने की परंपरा है। लेकिन अगर आप तीर्थ स्थान पर न जा पाएं तो घर ही इस विधि से स्नान कर सकते हैं…

स्नान-दान और व्रत की विधि
वैशाख अमावस्या की की सुबह जल्दी उठकर पानी में नर्मदा, गंगा या किसी भी पवित्र नदी का जल मिला लें। उसमें थोड़े से तिल भी डाल लें। नहाते समय 7 पवित्र नदियों, गंगा, युमना, गोदावरी, सरस्वती, नर्मदा, सिंधु और कावेरी को प्रणाम करें। ऐसा करने से तीर्थ स्नान का फल मिलता है और घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है।

कब से कब तक रहेगी अमावस्या?
अमावस्या तिथि 29 अप्रैल, शुक्रवार को देर रात 12:57 बजे से शुरु होगी, जो 30 अप्रैल, शनिवार की रात 01:57 बजे तक रहेगी। उदयातिथि के अनुसार, वैशाख अमावस्या 30 अप्रैल को ही रहेगी। शनिवार को अमावस्या होने से ये शनि अमावस्या कहलाएगी। इस तिथि से जुड़े कर्म यानी पूजा-पाठ आदि इसी दिन किए जाएंगे। 

ये है वैशाख अमावस्या की कथा
किसी नगर में धर्मवर्ण नाम के एक ब्राह्मण रहते थे। एक बार उन्होंने सुना कि कलियुग में भगवान विष्णु के नाम स्मरण से ज्यादा पुण्य किसी भी काम में नहीं है। इसके बाद उन्होंने संन्यास ले लिया और प्रभु की भक्ति करने लगे। एक दिन वे घूमते हुए पितृलोक पहुंचें। वहां उनके पितृ बहुत कष्ट में थे। पितरों ने उन्हें बताया कि तुम्हारे संन्यास लेने के कारण हमारी ऐसी हालत हुई है क्योंकि हमारा पिंडदान करने वाला भी कोई नहीं है। धर्मवर्ण ने जब इसका उपाय पूछा तो पितृों ने बताया कि तुम वैशाख अमावस्या पर हमारे लिए पिंडदान करो। धर्मवर्ण ने ऐसा ही किया और अपने पितरों को मुक्ति दिलाई।

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