सार
इस बार 11 अप्रैल, शनिवार को वैशाख मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि है। इस दिन भगवान श्रीगणेश की पूजा का विशेष महत्व है।
उज्जैन. मान्यता है कि इस दिन किए गए उपायों से जल्दी ही शुभ फल मिलते हैं। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के अनुसार, इस दिन गणेशजी के अलग-अलग स्वरूपों की पूजा भी करनी चाहिए, जिनसे घर-परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहती है...
हल्दी की गांठ से बने गणेश
इस दिन हल्दी की गांठ को भगवान श्रीगणेश का स्वरूप मानकर पूजा करें। इसे हरिद्रा गणेश भी कहते हैं। तंत्र उपायों में इसका विशेष महत्व है। पीसी हुई हल्दी में पानी मिलाकर भी गणेश प्रतिमा बना सकते हैं। ये गणेश प्रतिमा भी पूजन के लिए श्रेष्ठ मानी गई है। सोने से बनी और हल्दी से बनी, गणेश प्रतिमा एक समान पुण्य फल प्रदान करती है।
गोबर से बनी गणेश मूर्ति
हिंदू धर्म में गाय को पूजनीय माना जाता है। महाभारत के अनुसार गाय के गोबर में महालक्ष्मी का निवास है। यही कारण है कि गोबर से बनी गणेश प्रतिमा की पूजा लाभ देने वाली मानी गई है। चतुर्थी तिथि पर गोबर से गणेशजी की आकृति बनाएं और इसका पूजन करें। इससे घर का वातावरण पवित्र और सकारात्मक बना रहता है।
श्वेतार्क गणेश
सफेद आंकड़े की जड़ में गणेशजी की आकृति (मूर्ति) बन जाती है। इसे श्वतार्क गणेश कहा जाता है। इस मूर्ति की पूजा से सुख-सौभाग्य बढ़ता है। श्वेतार्क गणेश की मूर्ति घर लेकर आएं और नियमित रूप से विधि-विधान के साथ पूजा करनी चाहिए।