सार
अमेठी में निर्मित दुनिया की बेहतरीन राइफलों में शुमार AK-203 राइफल्स की पहली खेप सेना को सौंपा गया है। यह राइफल कई मायनों में खुद को खास बनाती है। AK-203 राइफल तीन दशक पहले शामिल इंसास राइफल की जगह लेगी।
अमेठी: हथियारों के मामले में भी देश आत्मनिर्भरता की ओर अग्रसर हो गया है और इसके साथ ही देश और दुनिया में अपनी एक अलग ही पहचान बना रहा है। इस बात का जीता जागता सबूत है अमेठी जिले में AK-203 राइफल्स बनाने की अनुमती मिलना। वैसे तो अमेठी गांधी परिवार के नाम से जाना जाता था, लेकिन अब यह देश की रक्षा करने के लिए हथियार बनाने के नाम से भी जाना जाएगा। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने अमेठी में निर्मित दुनिया की बेहतरीन राइफलों में शुमार AK-203 की पहली खेप सेना को सौंप दिया है।
2019 में पीएम मोदी ने किया गया था ऐलान
साल 2019 में देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेठी में सभा को संम्बोधित करते हुए ऐलान किया था कि अब जिले की पहचान AK-203 राइफल से होगी। उस दौरान हुए ऐलान के बाद विरोधियों ने इसका मजाक उड़ाया था, लेकिन आज तीन साल बाद दुनिया की बेहतरीन राइफलों में शुमार AK- 203 राइफलों का उत्पादन किया जा रहा है। AK-203 राइफल सैनिकों के लिए लिए किसी वरदान से कम नहीं है। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने इसकी पहली खेप को सेना को सौंपा दिया है। पहले जहां अमेठी की पहचान केवल गांधी परिवार से होती थी। लेकिन अब देश की हिफाज़त करने वाले रणबांकुरों के हाथ में लहराने वाली असाल्ट AK-203 भी इस जिले की पहचान बन गई है।
AK-203 असॉल्ट राइफल की खूबी
AK-203 असॉल्ट राइफल कलाश्निकोव सीरीज की सबसे आधुनिक और घातक राइफल है। 7.62 X 39mm कैलिबर वाली AK-203 राइफल तीन दशक पहले शामिल इंसास राइफल की जगह लेंगी। ये असॉल्ट राइफल्स घुसपैठ तथा आतंकवाद से लड़ने में भारतीय सेना की मद्द करेंगी और ताकत भी बढ़ाएंगी। दूसरी राइफल की तुलना में AK-203 असॉल्ट राइफल छोटी, हल्की और ज्यादा घातक है। AK-203 का वजन 3.8 किलोग्राम है, इसकी लंबाई 960 मिलीमीटर होती है।
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