सार

अयोध्या में जन्मभूमि पर आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद रामलला को लाल रंग के पकड़े पहनाए गए। हिंदू मान्यता में लाल रंग शुभ और विजय का प्रतीक माना जाता है। बता दें, 25 सालों से टेंट के नीचे पूजे जा रहे भगवान राम का मंदिर बनाने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने शनिवार को इजाजत दे दी।

अयोध्या (Uttar Pradesh). अयोध्या में जन्मभूमि पर आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद रामलला को लाल रंग के पकड़े पहनाए गए। हिंदू मान्यता में लाल रंग शुभ और विजय का प्रतीक माना जाता है। बता दें, 25 सालों से टेंट के नीचे पूजे जा रहे भगवान राम का मंदिर बनाने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने शनिवार को इजाजत दे दी। जिसके बाद हर रविवार को गुलाबी रंग के कपड़े पहनने वाले रामलला को लाल रंग का कपड़ा पहनाया गया। रामलला विराजमान के मुख्य पुजारी सतेंद्र दास ने भी कहा कि शुभ और विजय प्रतीक की वजह से लाल कपड़ा पहनाया गया था।

सादिक खान सिलते थे रामलला के लिए पोशाक
रामलला के लिए दो पीढ़ियों से पोशाक सिलने वाले शंकरलाल की अयोध्या में मनीराम छावनी मार्ग पर बाबूलाल टेलर्स के नाम से दुकान है। यहां वो अपने भाई और भतीजे के साथ सिलाई का काम करते हैं। शंकर लाल कहते हैं- पिछले 29 साल से हम रामलला के लिए कपड़े सिलने का काम कर रहे हैं। पहले पिताजी, उसके बाद हम दोनों भाईयों ने ये काम संभाला। जन्मभूमि पर फैसले से एक दिन पहले हमें विशेष तरह का कपड़ा दिया गया था, जो लाल रंग का था। हमें जैसे ही भगवान राम के लिए कपड़े सिलने का ऑर्डर मिलता है, सारे काम छोड़कर, उसे तैयार करने में जुट जाते हैं। यही नहीं, बाबू टेलर्स के नाम से अयोध्या में फेमस सादिक खान ने दो सालों तक रामलला के लिए कपड़े सिले थे। वो कहते हैं, साल 2005 और 2006 में रामलला की सेवा करने का अवसर मिला था।

हर दिन बदलता है रामलला की पोशाक का रंग
टेंट में विराजमान रामलला को हर दिन अलग-अलग रंग के कपड़े पहनाए जाते हैं। सोमवार को सफेद, मंगलवार को लाल, बुधवार को हरे, गुरुवार को पीले, शुक्रवार को क्रीम, शनिवार को नीले और रविवार को गुलाबी रंग के वस्त्र धारण कराए जाते हैं। टेलर शंकरलाल के भाई भगवत कहते हैं, ठाकुर जी के कपड़े बनाने में एक दिन का समय लगता है। 11 मीटर का कपड़ा होता है। 7 सेट के लिए सरकार द्वारा उनको 3500 रुपए मिलते हैं।

सुप्रीम कोर्ट का फैसला
अयोध्या में भूमि विवाद के तीन दावेजार थे एक हिंदू पक्ष, दूसरा सुन्नी वक्फ बोर्ड और तीसरा निर्मोही अखाड़ा। इनमें से कोर्ट ने पहले पक्ष के के हक में फैसला दिया है। दूसरे पक्ष को 5 एकड़ जमीन देने की बात कही और तीसरे पक्ष के दावे को खारिज कर दिया।