सार

यूपी के कानपुर जिले में तीन जून को हुई हिंसा मामले में आरोपी हयात जफर हाशमी के खिलाफ एनएसए की कार्रवाई हुई है। एसआईटी ने डीएम को दो हजार पन्नों की फाइल सौंपी है, जिसके बाद जिलाधिकारी ने उसके खिलाफ कार्रवाई पर मुहर लगा दी है।

कानपुर: उत्तर प्रदेश के जिले बीती तीन जून को नमाज के बाद भड़की हिंसा के बाद से आरोपियों को पकड़ा जा रहा है और उनके खिलाफ लगातार कार्रवाई की जा रही है। शहर में नई सड़क हिंसा के मामले में साजिशकर्ता हयात जफर हाशमी पर बुधवार रात एनएसए की कार्रवाई की गई। पुलिस ने जफर को लेकर कई बिंदुओं पर दो हजार पन्नों की रिपोर्ट डीएम विशाख को सौंपी थी। उसके बाद डीएम ने एनएसए यानी राष्ट्रीय सुरक्षा कानून की फाइल पर मुहर लगा दी। वहीं दूसरी ओर फंडिंग और सांप्रदायिक माहौल को खराब करने के मामले में पुलिस कमिश्नर ने जेल में बंद मुख्तार बाबा, अकील खिचड़ी, हाजी वसी और शफीक के खिलाफ गैंगस्टर एक्ट की कार्रवाई की है।

अब तक 62 आरोपियों को कर चुकी गिरफ्तार
शहर में तीन जून को नई सड़क में हुई हिंसा में पुलिस अब तक 62 आरोपियों को जेल भेज चुकी है। जिले में बवाल के बाद पुलिस ने छानबीन के बाद एमएमए जौहर फैंस एसोसिएशन के अध्यक्ष हयात जफर हाशमी को हिंसा का मुख्या साजिशकर्ता माना है। हयात जफर की जमानत अर्जी खारिज होने के बाद पुलिस ने तुरंत उसकी एनएसए की फाइल तैयार कर डीएम के पास भेज दी थी। बुधवार रात डीएम ने एनएसए की फाइल पर मुहर लगा दी। इस बवाल की फंडिंग में हाजी वसी, मुख्तार बाबा जेल में बंद हैं।

इनके खिलाफ भी एनएसए की हो सकती है कार्रवाई
पुलिस ने हयात के खिलाफ एनएसए लगाने के लिए कई आधार रिपोर्ट में लिखे हैं। सूत्रों के अनुसार रिपोर्ट में बताया है कि हयात ने बड़ी वारदात को अंजाम दिया है। इससे समुदायों में द्वेष की भावना फैली थी। पूरे समाज में उसको लेकर भय व्याप्त है। इसलिए वह जेल से छूटा तो अशांति फैल सकती है, एक बार फिर बवाल हो सकता है। इन्हीं सबके आधार पर उसके खिलाफ एनएसए लगाया गया है। तो वहीं दूसरी ओर जेल में बंद बिल्डर हाजी वसी, बाबा बिरयानी के मालिक मुख्तार बाबा, वसी के बेटे को भी जेल फंडिंग को लेकर भेजा गया था। इनके खिलाफ भी एनएसए की कार्रवाई हो सकती है और इससे संबंधित थाने की पुलिस ने प्रक्रिया शुरू कर दी है।

जानिए क्या होता है एनएसए (नेशनल सिक्योरिटी एक्ट)
एनएसए यानी राष्ट्रीय सुरक्षा कानून एक ऐसा कानून है, जिसमें यह प्रावधान किया गया है कि यदि किसी व्यक्ति से कोई खास तरीके से खतरा सामने आता है तो उस व्यक्ति को हिरासत में लिया जा सकता है। अगर प्रशासन को लगता है कि किसी शख्स की वजह से देश की सुरक्षा और सद्भाव को खतरा हो सकता है, तो ऐसा होने से पहले ही उस शख्स को रासुका के तहत हिरासत में ले लिया जाता है। इतना ही नहीं इसके तहत आरोपी को तीन माह के लिए बिना जमानत के हिरासत में रखा जा सकता है। इसकी अवधि भी 12 महीने तक बढ़ाई जा सकती है।

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