सार
देवरिया जेल कांड मामले में कोर्ट के आदेश के बाद केंद्रीय जांच एजेंसी ने अतीक के खिलाफ कार्रवाई की है।
प्रयागराज. देवरिया जेलकांड की जांच कर रही सीबीआई की टीम ने पूर्व सांसद अतीक अहमद पर शिकंजा कसा है। सीबीआई की टीम ने कार्रवाई करते हुए नेता के कई ठिकानों पर छापेमारी की है। अतीक के प्रयागराज में बने घर और कार्यालय पर सीबीआई की टीम ने छापे मारे हैं। देवरिया जेल कांड मामले में कोर्ट के आदेश के बाद केंद्रीय जांच एजेंसी ने अतीक के खिलाफ कार्रवाई की है।
क्या है मामला
दरअसल, अतीक अहमद ने लखनऊ के रियल एस्टेट व्यापारी मोहित जायसवाल का 26 दिसंबर को किडैनप कराकर देवरिया जेल बुलाया था। जहां उसकी बर्बरतापूर्वक पिटाई के बाद करोड़ों रुपये की प्रॉपर्टी अपने और करीबियों के नाम करा ली। जिसके सबूत जुटाने के लिए सीबीआई टीम करीब एक महीने से जिले में डटी है। सिंचाई विभाग के डाक बंगले में रुकी टीम ने कई बार जेल जाकर बंदियों-कैदियों, बंदीरक्षकों और जेल अधिकारियों के बयान दर्ज किए।
जांच में क्या आया सामने
अबतक छानबीन में सामने आया है, देवरिया जेल में आने के बाद अतीक के तमाम गुर्गे और करीबी भी यहीं ठिकाना बनाए रहे। कई बार उनके माध्यम से बड़े कारोबारियों को देवरिया बुलाया गया और उनसे रंगदारी ली गई। शहर के होटलों में ही उनका ठिकाना रहा। दो दिन पहले ही शहर के स्टेशन रोड, पुरवा, राघवनगर के होटलों के अभिलेखों की जांच की गई। स्टेशन रोड के कुछ होटलों से टीम को महत्वपूर्ण दस्तावेज हाथ लगे हैं। इसके अलावा टीम कुशीनगर के उन बंदियों से भी पूछताछ कर जानकारी जुटा रही , जो अतीक के साथ या उसके आसपास के बैरक में रहे हैं। अंदेशा है कि अतीक ने उनकी जेल के अंदर से ही कई मामलों में मदद की थी। इसके बदले जेल से बाहर निकलने पर वे अतीक की मदद करते थे। टीम के अभी कुछ दिन और जिले में ही रहने की संभावना है।
अतीक अहमद यूपी की सियासत का वो बड़ा नाम
अतीक अहमद का जन्म 10 अगस्त 1962 को हुआ। वह यूपी के श्रावस्ती जनपद के रहने वाले हैं। हाईस्कूल में फेल होनें के बाद अतीक ने जुर्म की दुनिया में कदम रखा। सरकारी ठेकेदारी से लेकर खनन और उगाही के मामलों में नाम आया है। अतीक पर पहला मामला 17 साल की उम्र में हत्या करने के आरोप में दर्ज हुआ। अतीक पर अबतक 163 मामले दर्ज है, जिसमें 134 आपराधिक वहीं 38 मामले ट्रायल पर हैं। यूपी के कई शहर जिसमें लखनऊ, कौशाम्बी, चित्रकूट, इलाहाबाद के आलावा बिहार राज्य में भी हत्यया, अपहरण, जबरन वसूली आदि के मामले दर्ज हुए।
राजनीति में रखा कदम
साल 1989 में अतीक अहमद ने पहली बार इलाहबाद के पश्चिमी विधानसभा से निर्दलीय चुनाव लड़ा और विधायक बने। जिसके बाद लगातार 1991 और 1993 में निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव में उतरे और विधायक विधायक बने। 1996 में उन्हें समाजवादी पार्टी ने टिकट दिया था।