सार
यूपी में चुनावी तारीखों के ऐलान होते ही राजनीतिक दलों ने अपने अपने प्रत्याशियों की पहली सूची जारी करने की शुरुआत कर दी। इसी बीच गुरुवार को समाजवादी पार्टी और आरएलडी के गठबंधन से जुड़ी प्रत्याशियों की पहली सूची जारी हुई। कयास लगाए जा रहे थे कि शायद इस बार यदि अखिलेश सरकार सत्ता में आती है तो अपराधियों व दुराचारियों को सत्ता से दूर रखा जाएगा। लेकिन सामने आई सूची में प्रत्याशियों के नाम इन उम्मीदों से मीलों दूर दिखे।
हेमेंद्र त्रिपाठी
लखनऊ: उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव (UP Vidhansabha chunav 2022) की तारीखों के ऐलान से पहले सभी राजनीतिक पार्टियों की ओर से प्रदेश की जनता को लुभावने दांव के सहारे सियासी दांवपेंच खेले जा रहे थे। बीजेपी हिंदुत्व के एजेंडे के साथ सपा, बसपा के कार्यकाल में हुए अपराध का आंकड़ा गिना रही थी तो वहीं, अन्य विपक्षी दल बीजेपी पर हिंदुत्व, जाति-धर्म के वोटबैंक की राजनीति करने का आरोप लगा रही थी। इन सबके बीच हमेशा लचर कानून व्यवस्था की पहचान रखने वाली समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव की ओर से आने वाले समय में सरकार बनने पर यूपी की महिलाओं को सम्मान, संरक्षण के साथ साथ प्रदेशवासियों बेहतर कानून व्यवस्था देने का दावा भी किया जा रहा था।
यूपी में चुनावी तारीखों के ऐलान होते ही राजनीतिक दलों ने अपने अपने प्रत्याशियों की पहली सूची जारी करने की शुरुआत कर दी। इसी बीच गुरुवार को समाजवादी पार्टी और आरएलडी के गठबंधन से जुड़ी प्रत्याशियों की पहली सूची जारी हुई। कयास लगाए जा रहे थे कि शायद इस बार यदि अखिलेश सरकार सत्ता में आती है तो अपराधियों व दुराचारियों को सत्ता से दूर रखा जाएगा। लेकिन सामने आई सूची में प्रत्याशियों के नाम इन उम्मीदों से मीलों दूर दिखे। बेहतर कानून को स्थापित करने का विश्वास दिलाने वाली समाजवादी पार्टी ने एक बार फिर अपराधी प्रवत्ति के लोगों को सत्ता में आने का त्योता देते हुए विधानसभा का टिकट दे दिया।
हिंदुओं के पलायन का मास्टरमाइंड नाहिद हसन को सपा से मिला टिकट
बीते 13 जनवरी को देर शाम समाजवादी पार्टी की ओर से सपा-आरएलडी के गठबंधन वाले प्रत्याशियों की ओनली सूची जारी की गई। इस सूची में समाजवादी पार्टी द्वारा शामली जिले की कैराना सीट के लिए नाहिद हसन का नाम घोषित किया गया है। आपको बता दें कि नाहिद हसन के खिलाफ पुलिस में कई आपराधिक मामले दर्ज हैं। इसी के साथ उन्हें कैराना से हिन्दुओं के अतिचर्चित पलायन का मास्टरमाइंड भी कहा जाता है। कई भाजपा नेताओं ने नाहिद हसन को दोबारा टिकट दिए जाने पर सवाल खड़े किए हैं। इसके साथ ही आपको बता दें कि नाहिद हसन पर जमीन खरीदने के मामले में धोखाधड़ी का भी केस दर्ज है। वह शामली जिले की विशेष अदालत से भगोड़ा भी घोषित किया जा चुका है। नाहिद हसन कैराना से सपा के वर्तमान विधायक भी हैं। उनकी माँ तबस्सुम इसी क्षेत्र से पूर्व सांसद रहीं हैं। लम्बे समय तक फरार रहने वाले नाहिद हसन ने जनवरी 2020 में अदालत में सरेंडर किया था। लगभग 1 माह से अधिक समय तक जेल में रहने के बाद उन्हें जमानत मिली थी। फरवरी 2021 में उत्तर प्रदेश पुलिस ने नाहिद हसन, उनकी माँ तबस्सुम और 38 अन्य लोगों पर गैंगस्टर एक्ट के तहत कार्रवाई की थी।
23 मुकदमों का भंडार रखने वाले हाजी यूनुस को मिला टिकट
बुलंदशहर सदर सीट से बसपा के टिकट पर विधायक बनते रहे हाजी अलीम की मृत्यु के बाद सपा-रालोद ने उनके छोटे भाई हाजी यूनुस को टिकट दिया है। यूनुस पर बुलंदशहर की कोतवाली नगर में ही 23 मुकदमे दर्ज हैं। प्रभारी निरीक्षक द्वारा एसएसपी को भेजी गई रिपोर्ट में हत्या, हमला, लूट, गुंडा एक्ट, गैंगस्टर एक्ट जैसे 23 मुकदमों का जिक्र किया गया है।
सपा के नेता को जान से मारने की धमकी देने वाले को सपा ने दिया टिकट
इसके साथ ही मेरठ से समाजवादी पार्टी के विधायक रफीक अंसारी को दोबारा टिकट दिया गया है। उन पर भी कई आपराधिक केस लंबित हैं। वो अपनी ही पार्टी के एक अन्य नेता को मौत की धमकी देने के बाद चर्चित हुए थे। अक्टूबर 2021 में मेरठ की एक अदालत ने बुंदू खान अंसारी की शिकायत पर रफ़ीक अंसारी को गिरफ्तार करने का आदेश दिया था। शिकायत में कहा गया था कि विधायक रफ़ीक अंसारी ने उन्हें अपनी जमीन फर्जी कागज़ातों के आधार पर बेच कर उनका पैसा हड़प लिया है। इतना ही नहीं, नवम्बर 2017 में रफीक अंसारी का एक ऑडियो वायरल हुआ था। ऑडियो में वो समाजवादी पार्टी के ही एक अन्य नेता को नगर निगम चुनावों के दौरान जान से मारने की धमकी दे रहे थे। विधायक अंसारी की मेरठ के नौचंदी थाने में हिस्ट्रीशीटर भी है।
आपराधिक प्रवत्ति वाले अन्य लोग भी हैं प्रत्याशियों की सूची में शामिल
सपा-आरएलडी के गठबंधन से जुड़ी प्रत्याशियों की इस सूची में कोई एक दो नेता नहीं बल्कि ऐसे कई नेता हैं जो आपराधिक प्रवत्ति से जुड़े हैं। जिनमें से एक नाम भाजपा नेता गजेंद्र भाटी की हत्या करने वाले अपराधी अमरपाल शर्मा का है। गाजियाबाद के खोड़ा में भाजपा नेता गजेंद्र भाटी उर्फ गज्जी की दो सितंबर 2017 को हत्या हुई। शूटरों ने खुलासा किया कि अमरपाल शर्मा ने उन्हें सुपारी दी थी। प्रशासन ने इस मामले में अमरपाल पर रासुका भी लगाई थी। अमरपाल पर साल-2018 में 10 लाख की रंगदारी मांगने का केस दर्ज हुआ। कभी बसपा और कांग्रेस के साथी रहे अमरपाल शर्मा आज सपा-रालोद गठबंधन से साहिबाबाद सीट से प्रत्याशी हैं। इसी प्रकार हापुड़ जिले की धौलाना विधानसभा सीट से सपा विधायक एवं मौजूदा प्रत्याशी असलम चौधरी विवादित बयान के लिए अक्सर चर्चाओं में रहते हैं। इसके चलते पिछले पांच साल में उन पर तकरीबन छह से ज्यादा मुकदमे दर्ज हुए।
सही साबित हुआ अपराधियों को संरक्षण का दावा
समाजवादी पार्टी को लेकर विपक्ष की ओर से लगातार अपराधियों को संरक्षण देने वाली पार्टी कहा जाता है। बीजेपी के कई नेता सपा पर अपराधियों के संरक्षण और उनका बचाव करने का आरोप लगाते हैं। बात चाहे आजम खां की हो, अतीक अहमद की हो या मुख्तार अंसारी की। ये सभी नाम समाजवादी पार्टी पर लगाए गए इन आरोपों को सही साबित करने का पूरा काम करती है। लेकिन इतने बड़े चुनवा को लड़ने से पहले जारी हुई प्रत्याशियों की सूची ने बार फिर विपक्ष के आरोपों को सही साबित किया है।