सार

मुलायम सिंह यादव के राजनीतिक जीवन की कुछ घटनाएं ऐसी रही, जिन्होंने उनकी छवि को काफी नुकसान पहुंचाया और उनके राजनीतिक करियर के लिए खतरा बनीं। ऐसा ही एक वाक्या गेस्ट हाउस कांड है। जो यूपी की राजनीति में कलंक साबित हुई।

लखनऊ: उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव का सोमवार को मेदांता अस्पताल मे निधन हो गया। वह पिछले काफी समय से गंभीर बीमारियों से जूझ रहे थे। नेताजी अपने 55 साल के राजनीतिक करियर में केंद्र में रक्षामंत्री भी रह चुके थे। इसके अलावा वह लोकसभा, विधानसभा और विधान परिषद तीनों के भी सदस्य रह चुके थे। बता दें कि समाजवादी पार्टी के संरक्षक मुलायम सिंह यादव 8 बार विधायक और एक बार विधान परिषद के सदस्य भी बने। यहीं नहीं वह 7 बार लोकसभा का चुनाव जीतकर संसद भी पहुंचे। नेताजी ने अपने राजनीतिक करियर में कई उतार-चढ़ाव देखे थे। उनके जीवन में कई ऐसी घटनाएं घटीं जो उनके राजनीतिक करियर के लिए खतरा भी बनी। ऐसी ही घटनाओं में एक वाक्या गेस्ट हाउस कांड है। 

बसपा के समर्थन से मुलायम सिंह बने थे सीएम
कभी एकसाथ मिलकर चुनाव लड़ने वाले मुलायम सिंह यादव और मायावती एक-दूसरे के दुशमन बन गए थे। मुलायम सिंह यादव ने भाजपा को टक्कर देने के लिए साल 1993 में बसपा प्रमुख कांशीराम से गठबंधन कर लिया था। वहीं उत्तराखंड उत्तर प्रदेश का हिस्सा होने के चलते विधानसभा में सीटों की संख्या 422 थी। जिसके बाद मुलायम सिंह यादव की सपा ने 256 सीटों से चुनाव लड़ा और बसपा ने 164  सीटों से चुनाव लड़ा। चुनाव में समाजवादी पार्टी को 109 और बहुजन समाज पार्टी को 67 सीटों पर जीत मिली थी। इसके बाद मुलायम सिंह यादव मुख्यमंत्री बन गए। लेकिन आपसी मनमुटाव के चलते मायावती ने 2 जून साल 1995 में अपनी पार्टी का समर्थम वापस लेने की घोषणा कर दी। 

सपा कार्यकर्ताओं ने गेस्टहाउस में मायावती पर किया था हमला
मायावती की इस घोषणा के बाद मुलायम सिंह यादव बेहद नाराज हो गए और वह अल्पमत में आ गए। वहीं इस बीच भाजपा और बसपा के बीच गठबंधन होने की चर्चाएं जोरों पर थीं। भाजपा भी बसपा को समर्थन देने की बात कह रही थी। 2 जून 1995 को लखनऊ स्थित स्टेट गेस्ट हाउस में जब बसपा प्रमुख मायावती अपने विधायकों के साथ मीटिंग कर रही थीं तो इस बीच सपा कार्यकर्ताओं ने गेस्ट हाउस पर हमला बोल दिया। देखते ही देखते सपा और बसपा के कार्यकर्ताओं के बीच मारपीट शुरू हो गई। यह घटना उस दौर की बड़ी घटनाओं में से एक थी। इस गेस्ट हाउस में मायावती कमरा नंबर एक में रूकी हुई थीं। उन्होंने स्थिति को देखते हुए खुद को एक कमरे में बंद कर लिया। इस दौरान मायावती के साथ कमरे में दो और लोग भी मौजूद थे। जिनमें से एक सिकंद रिजवी थे।

मुलायम सिंह के राजनीतिक करियर को पहुंचा था नुकसान
सपा कार्य़कर्ताओं ने दरवाजा खुलवाने के लिए पूरा जोर लगा दिया था। लेकिन कमरे मौजूद लोगों सोफा, मेज और कुर्सी आदि से दरवाजे को जाम कर दिया था। चटकनी टूटने के बाद भी दरवाजा नहीं खुल सका। इस घटना के बाद मायावती ने समाजवादी पार्टी पर आरोप लगाते हुए कहा कि उनको जान से मारने की कोशिश की गई थी। वहीं मायावती पर आधारित किताब "बहनजी" में भी गेस्टहाउस कांड का जिक्र किया गया है। इस किताब के मुताबिक सपा कार्यकर्ताओं ने मायावती को कमरे में बंद करके मारा और उनके कपड़े फाड़ दिए थे। जिसके बाद मायावती ने किसी तरह से अपनी जान बचाते हुए खुद को एक कमरे में बंद कर लिया था। यूपी की राजनीति में यह घटना कलंक साबित हुई। इस घटना से मुलायम सिंह यादव की राजनीतिक छवि को भी नुकसान पहुंचा था। इसका नतीजा यह निकला कि उस आगामी विधानसभा चुनाव में मुलायम सिंह को हार का सामना करना पड़ा था। 

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