सार
पांच बार सपा के जिलाध्यक्ष रहे गोपाल सिंह यादव ने मुलायम सिंह से जुड़ी बातें साझा की है। उन्होंने कहा कि नेताजी को उड़द की दाल और मिस्सी की रोटी काफी पंसद थी। इतना ही नहीं मुलायम सिंह यादव को ताजा मक्खन के साथ-साथ मट्ठा भी बहुत प्रिय था।
लखनऊ: उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव का पंचतत्व में विलीन हो गए। लाखों नम आंखों ने उन्हें अंतिम विदाई दी। नेताजी से जुड़े कुछ बातें पांच बार समाजवादी पार्टी के जिलाध्यक्ष रहे गोपाल सिंह यादव ने साझा की है। उन्होंने बताया कि नेताजी को उड़द की धुली दाल और मिस्सी की रोटी काफी पसंद थी। इसके साथ ही ताजा मक्खन और मट्ठा भी उनके खाने में शामिल था। गोपाल सिंह के अनुसार नेताजी साल 1984 में पहली बार मेरे कटघर गाड़ीखाना स्थित आवास पर आए थे। उसके बाद गुलजारीमल धर्मशाला जीएमडी रोड में बैठक की थी। जिसमें शांति देवी, चौधरी चंद्रपाल सिंह और रमाशंकर कौशिक शामिल हुए थे। नेताजी को घर का खाना काफी पसंद था।
सर्किट या गेस्ट हाउस में घर का खाना मांगकर थे खाते
गोपाल सिंह यादव ने कहा कि वह जब भी मुरादाबाद आए मेरे घर का बना जरूर खाया है। कभी घर पर तो कभी सर्किट हाउस या गेस्ट हाउस में मंगाकर खाया। उन्होंने बताया कि उन्हें प्रदेश सचिव से प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य बना दिया गया था। इसके बाद उन्होंने दिल्ली जाकर नेताजी से नाराजगी जताई थी। इस दौरान उन्होंने कहा था कि नेता का विश्वास बड़ा होता है, पद नहीं और मेरा तुम पर विश्वास है। आगे बताते है कि साल 1998 के संभल लोकसभा चुनाव की नामांकन प्रक्रिया मुरादाबाद में ही हुई थी। तब दस हजार रुपए सिक्योरिटी के तौर पर जमा होते थे। उसके बाद जब धनराशि को जमा करने का समय आया तो नेताजी ने कहा था कि यह सिक्योरिटी मनी गोपाल जमा करेगा। उन्होंने खुद प्रत्याशियों की सिक्योरिटी मनी गोपाल से ही जमा कराई थी।
विचारों का विरोधी होने के बाद भी नेताजी के कायल
वहीं दूसरी ओर एमएच कॉलेज के प्रबंधक एवं संस्कार भारती के महानगर अध्यक्ष डॉ काव्य सौरभ जैमिनी ने बताया कि नेताजी आपातकाल के बाद कैबिनेट मंत्री बने थे। उस वक्त हमारे खालसा सराय आवास पर भोजन किया था जबकि मेरे पिता स्व डॉ विश्व अवतार जैमिनी जनसंघ एवं बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं में शुमार थे। इतना ही नहीं मुलायम सिंह यादव ने दादी को ढूंढा और आशीर्वाद लिया था। डॉक्टर आगे कहते है कि नेताजी के शिष्टाचार से पिता बहुत प्रभावित हुए थे। इस वजह से पिता ने नेताजी के इस व्यवहार का जिक्र अपनी आत्मकथा का बिंदु-बिंदु सिंधु में किया है। उन्होंने लिखा है कि राजनैतिक विचारों में मुलायम सिंह यादव का विरोधी होते हुए भी मैं उनके शिष्टाचार का आज भी कायल हूं।
नम आंखो से दी गई मुलायम सिंह यादव को अंतिम विदाई, बेटे अखिलेश ने दी मुखाग्नि
मुलायम सिंह के राज में शुरू हुआ था एक रुपए के पर्चे में इलाज, नेताजी ने लखनऊ को दिए थे कई तोहफे