सार
ज्येष्ठ माह के बड़े मंगल की शुरुआत 17 मई से हो रही है। बड़े मंगल का इतिहास 400 साल से भी अधिक पुराना बताया जाता है। इस दिन कोई भी भूखा या प्यासा नहीं सोता है। इस खास दिन पर रामचरित मानस और सुंदरकांड का विशेष फल मिलता है।
लखनऊ: इस बार ज्येष्ठ का पहला बड़ा मंगल 17 मई को पड़ेगा। इस बार पांच बड़े मंगल 17 मई, 24, 31 मई, 7 जून और 14 जून को पड़ रहे हैं। ज्योतिषाचार्यों द्वारा बताया जा रहा है कि इस बार 17 मई को शिव योग, चंद्रमा मंगल की वृश्चिक राशि में और शनि का अनुराधा नक्षत्र का संयोग विशेष फलदायी है।
हनुमान जी इन चीजों से होते हैं प्रसन्न
हनुमान जी को भगवान शिव के अवतार हैं। उनकी पूजा तत्काल फल देने वाली होती है। हनुमान जी को ग्राम देवता, संकटमोचन के नाम से भी पूजा जाता है। माता सीता के द्वारा हनुमान जी को अष्ट सिद्धि और नवनिधि का वरदान दिया गया है। भक्त इस दिन व्रत रखकर भी भगवान राम, माता सीता, हनुमान जी का पूजन कीर्तन आदि करते हैं। इस दिन रामचरित मानस पाठ और सुंदरकांड विशेष फलदायी होता है। लाल वस्त्र, लाल फूल, सिंदूर, लाल चंदन, चमेली के तेल का लेप, तुलसी पत्र, बेसन के लड्डू से बजरंगबली जल्द ही प्रसन्न हो जाते हैं।
बड़े मंगल के दिन कोई भी नहीं रहता है भूखा
बड़े मंगल पर सूरज उगने से पहले ही शहर में चहलपहल शुरू हो जाती है। जेठ की बरसती आग तक दोपहरी तक भंडारे की तैयारी होती रहती है। रास्ता संकरा हो या चौड़ा हर चार कदम पर भंडारा लगता रहता है। जेठ के बड़े मंगल को कोई भी प्यासा या भूखा नहीं रहता है। कई घरों में इस दिन खाना नहीं बनाता।
बड़ा मंगल का है लंबा इतिहास
लखनऊ में बड़े मंगल की परंपरा 400 साल से भी पुरानी बताई जाती है। अलीगंज के पुराने हनुमान मंदिर की स्थापना नवाब शुजाउद्दौला की बेगल और दिल्ली की मुगलिया खानदान की बेटी आलिया बेगम ने करवाई थी। इसका निर्माण 1792 से 1802 के बीच में हुआ था। बड़े मंगल की परंपरा अलीगंज के हनुमान मंदिर से शुरू हुई थी। एक कथानक के अनुसार इत्र कारोबारी लाला जाटमल ने अलीगंज में हनुमान मंदिर का निर्माण करवाया था।
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