सार

मैनपुरी जिले की करहल विधानसभा सीट यादव बाहुल्य है। यहां सर्वाधिक सवा लाख यादव मतदाता है। जबकि यहां दूसरे और तीसरे नंबर पर शाक्य और बघेल मतदाता है। एस पी सिंह के यहां से चुनावी मैदान में उतरने के ऐलान के बाद यहां की सियासी गणित पूरी तरह से बदल चुकी है। 

मैनपुरी: यूपी के मैनपुरी जिले की जातिगत गणित के अनुसार हर बार करहल (Karhal) की सियासत सपा के अनुकूल रही है। इसी के चलते समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने भी इसी सीट से चुनाव लड़ने का फैसला किया। लेकिन भाजपा ने पलटवार कर जातिगत कार्ड खेल दिया है। भाजपा ने अपने कोर वोट के साथ ही बघेल मतदाताओं को लुभाने के लिए यहां बड़ा दांव चल दिया। पार्टी की ओर से एसपी सिंह बघेल (SP Singh Baghel) को प्रत्याशी बनाया गया है।

मैनपुरी की करहल सीट वैसे तो यादव बाहुल्य है। यहां सर्वाधिक सवा लाख मतदाता यादव है और समाजवादी पार्टी हमेशा ही यहां यादव कार्ड खेलती रही है। समाजवादी पार्टी यहां से यादव प्रत्याशी को ही चुनावी मैदान में उतारकर जीत हासिल करती रही है। 

भाजपा ने भी खेल दिया जातिगत कार्ड 
करहल से जब अखिलेश यादव के चुनाव लड़ने की बारी आई तो भाजपा ने ऐन वक्त तक तो पत्ता ही नहीं खोला। इसके बाद ऐन वक्त पर ऐसा जातिगत कार्ड खेल दिया जिसके बाद सभी सोचने पर विवश हो गए। भाजपा ने रणनीति के तहत ही यहां से एसपी सिंह बघेल को चुनावी मैदान में उतारा है। 

तकरीबन 30 हजार है बघेल मतदाता 
करहल में दूसरा स्थान शाक्य मतदाता का है जबकि बघेल और क्षत्रिय तीसरे स्थान पर है। शाक्य और क्षत्रिय मतदाता हमेशा से भी भाजपा का कोर वोटर माना जाता है। जबकि बघेल प्रत्याशी के चुनावी मैदान में आने पर 30 हजार बघेल मतदाताओं पर भी भाजपा की पकड़ मजबूत होने की संभावना है। 

फिलहाल भाजपा रणनीति के सहारे करहल की सियासत को बदलना चाहती है। पहले ही अखिलेश यादव के यहां से चुनावी लड़ने के ऐलान के बाद यह सीट हॉट सीट मानी जा रही थी। लेकिन अब केंद्रीय मंत्री एसपी सिंह बघेल के यहां से चुनाव लड़ने के ऐलान के बाद सभी की निगाहें इसी सीट पर लगी हुई हैं। 

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