सार

Up Result 2022 :  एआईएमआईएम ने अपने अधिकांश उम्मीदवारों को उन निर्वाचन क्षेत्रों में मैदान में उतारा था, जहां मुस्लिम आबादी और मतदाताओं का प्रतिशत काफी अधिक है। पिछले विधानसभा चुनावों में भी जब एआईएमआईएम ने ऐसे मुस्लिम बहुल निर्वाचन क्षेत्रों से 38 उम्मीदवार खड़े किए थे, तब उसके लगभग सभी उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई थी।

लखनऊ। हैदराबाद स्थित मुस्लिम पॉलिटिकल पार्टी ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) ने उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव (UP Election 2022) में 100 सीटों पर चुनाव लड़ा। लेकिन 99 सीटों पर यह पार्टी अपनी जमानत तक नहीं बचा सकी। हालांकि, 2017 की तुलना में इसका वोट प्रतिशत बढ़ा है। असदुद्दीन ओवैसी ( Asaduddin Owaisi) के नेतृत्व वाली पार्टी विशेष रूप से मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में भी वोटरों को आकर्षित नहीं कर सकी। 

मुस्लिम बहुल इलाकों में ज्यादातर उम्मीदवार उतारे
एआईएमआईएम ने अपने अधिकांश उम्मीदवारों को उन निर्वाचन क्षेत्रों में उतारा था, जहां मुस्लिम आबादी और मुस्लिम वोटरों का प्रतिशत काफी अधिक है। पिछले विधानसभा चुनावों में भी जब एआईएमआईएम ने ऐसे मुस्लिम बहुल निर्वाचन क्षेत्रों से 38 उम्मीदवार खड़े किए थे, तब उसके लगभग सभी उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई थी। इसी तरह 2022 के विधानसभा चुनाव में लगभग जहां AIMIM ने प्रत्याशी खड़े किए, उन सभी सीटों पर इनकी जमानत जब्त हो गई। इसके बाद भी AIMIM के प्रवक्ता वारिस पठान का कहना है कि यूपी में उनकी पार्टी का विकास हो रहा है। 

मुबारकपुर प्रत्याशी की जमानत बची
ओवैसी की पार्टी से जमानत बचाने वाले एकमात्र उम्मीदवार मुबारकपुर निर्वाचन क्षेत्र से शाह आलम उर्फ ​​गुड्डू जमाली हैं। वह पहले बहुजन समाज पार्टी (BSP) में थे। बसपा छोड़ने के बाद उन्होंने सबसे पहले समाजवादी पार्टी से संपर्क किया, जहां उन्हें टिकट नहीं दिया गया। इसके बाद वे एआईएमआईएम आए और मुबारकपुर सीट से विधानसभा चुनाव लड़ा।  प्रमुख मुस्लिम बहुल सीटों में देवबंद सबसे महत्वपूर्ण विधानसभा क्षेत्रों में से एक था। AIMIM ने मौलाना उमैर मदनी को यहां से टिकट दिया था, लेकिन वे भी केवल 3,501 वोट हासिल कर सके। उल्लेखनीय है कि यह सुन्नी इस्लाम का देवबंदी संस्कार है, जिसका अफगानिस्तान में तालिबान द्वारा अनुसरण किया जाता है। देवबंद से भाजपा उम्मीदवार बृजेश सिंह जीते हैं। 

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वाराणसी में ब्राह्मण को दिया टिकट 

दिलचस्प बात यह है कि वाराणसी में एआईएमआईएम ने आश्चर्यजनक तौर पर गैर मुस्लिम उम्मीदवार हरीश मिश्रा को टिकट दिया था। AIMIM द्वारा वाराणसी में सोशल इंजीनियरिंग के इस कदम को 2019 के आम चुनावों में प्रकाश अंबेडकर के वंचित बहुजन अघाड़ी के साथ महाराष्ट्र में उसके गठबंधन के बराबर के रूप में देखा गया था। उन चुनावों में वीबीए के सभी दलित उम्मीदवारों ने एआईएमआईएम के चुनाव चिन्ह पर चुनाव लड़ा था।

वोट प्रतिशत बढ़ा
एआईएमआईएम ने 2017 के विधानसभा चुनावों 38 उम्मीदवार खड़े किए थे। इन्हें कुल मिलाकर तकरीबन दो लाख वोट मिले थे। इस बार पार्टी के 100 उम्मीदवारों ने 22 लाख से अधिक वोट हासिल किए हैं। यह बताता है कि इस पार्टी के वोट बढ़े हैं। 

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