सार
ज्ञानवापी (Gyanvapi Masjid) केस में वाराणसी की लोअर कोर्ट ने गुरुवार को अपने फैसले में साफ कर दिया कि मस्जिद के सर्वे के लिए कमिश्नर को नहीं बदला जाएगा। इतना ही नहीं, कोर्ट ने कहा है कि सुबह 8 से 12 बजे तक सर्वे किया जाएगा।
Gyanvapi Masjid : ज्ञानवापी (Gyanvapi Masjid) मामले में वाराणसी की लोअर कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष को झटका दिया है। गुरुवार को कोर्ट ने अपने फैसले में साफ कर दिया कि ज्ञानवापी मस्जिद के सर्वे के लिए कमिश्नर को नहीं बदला जाएगा। कोर्ट ने अब इस मामले में 17 मई को सर्वे रिपोर्ट मांगी है। इतना ही नहीं, कोर्ट ने अपने फैसले में ये भी कहा कि जो लोग सर्वे में बाधा डालने की कोशिश करेंगे उन पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। वैसे, ज्ञानवापी विवाद क्या है और ये शब्द कैसे बना, आइए जानते हैं पूरा मामला।
क्या है ज्ञानवापी का मतलब :
ज्ञानवापी शब्द इन दिनों सबसे ज्यादा चर्चा में है। इसका मुख्य कारण वाराणसी स्थित वो ज्ञानवापी परिसर है, जहां काशी विश्वनाथ मंदिर (Kashi Vishwanath Temple) के साथ ही साथ मस्जिद भी है। ज्ञानवापी शब्द ज्ञान+वापी से बना है, जिसका मतलब है ज्ञान का तालाब। कहते हैं कि इसका ये नाम उस तालाब की वजह से पड़ा, जो अब मस्जिद के अंदर है। वहीं भगवान शिव के गण नंदी मस्जिद की ओर आज भी मुंह किए बैठे हैं।
जानें ज्ञानवापी का इतिहास :
- कहा जाता है कि विश्वनाथ मंदिर को सबसे पहले 1194 में मोहम्मद गौरी ने लूटा और तोड़फोड़ की। इसके बाद 15वीं सदी में राजा टोडरमल ने मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया।
- इसके बाद 1669 में औरंगजेब ने एक बार फिर काशी विश्वनाथ मंदिर को ध्वस्त करवाया। कहा जाता है कि औरंगजेब ने जब काशी का मंदिर तुड़वाया तो उसी के ढांचे पर मस्जिद बनवा दी, जिसे आज ज्ञानवापी मस्जिद कहा जाता है। यही वजह है कि इस मस्जिद का पिछला हिस्सा बिल्कुल मंदिर की तरह लगता है।
- दूसरी ओर सन 1780 में इंदौर की महारानी अहिल्याबाई होल्कर ने काशी के मंदिर (Kashi Vishwanath Temple) का जीर्णोद्धार कराया। इस दौरान पंजाब के महाराजा रणजीत सिंह ने करीब एक टन सोना मंदिर के लिए दान किया था।
क्या है विवाद :
ज्ञानवापी परिसर में स्थित मस्जिद को लेकर शुरू से ही विवाद रहा है। हिंदू पक्ष का कहना है कि 400 साल पहले मंदिर तोड़कर वहां मस्जिद बना दी गई, जहां मुस्लिम समुदाय नमाज पढ़ता है। इस ज्ञानवापी मस्जिद का संचालन अंजुमन-ए-इंतजामिया कमेटी करती है। 1991 में विश्वेश्वर भगवान की ओर से वाराणसी के सिविल जज की अदालत में एक याचिका लगाई गई, जिसमें कहा गया कि जिस जगह ज्ञानवापी मस्जिद है, वहां पहले भगवान विश्वनाथ का मंदिर था और श्रृंगार गौरी की पूजा होती थी। याचिका में मांग की गई कि ज्ञानवापी परिसर को मुस्लिम पक्ष से खाली कराकर इसे हिंदुओं को सौंप देना चाहिए। वाराणसी के ज्ञानवापी परिसर में स्थित बाबा विश्वनाथ के मंदिर और मस्जिद को लेकर यही विवाद है।