सार

रामलला की जन्मभूमि अयोध्या में भगवान राम के भव्य मंदिर का निर्माण कार्य चल रहा है। मंदिर की नींव को इतना मजबूत बनाया गया है कि इसके लिए करीब 2.77 एकड़ क्षेत्र में पहले 15 मीटर गहरी खुदाई की गई। इसके बाद उसे एक खास तरह के मटेरियल से भर कर फाउंडेशन तैयार किया गया। 

नई दिल्ली। अयोध्या (Ayodhya) में भगवान श्रीराम मंदिर (Ram Mandir) का निर्माण तेज गति से चल रहा है। 5 अगस्त, 2020 को शिला पूजन के बाद से ही अब तक यहां लगातार काम चल रहा है। मंदिर के गर्भगृह की नींव तैयार करने के लिए यहां करीब 2 एकड़ क्षेत्र में तीन मंजिला मकान के बराबर खुदाई की गई है। आखिर क्यों इतने बड़े क्षेत्र को जमीन से 45 फीट गहरा खोदा गया, क्या थी इसके पीछे की वजह? इन्हीं सवालों के जवाब जानने के लिए एशियानेट न्यूज (Asianet News) के राजेश कालरा ने राम मंदिर निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेन्द्र मिश्रा से बातचीत की, जिसमें उन्होंने इस पूरे घटनाक्रम को विस्तार से बताया। आइए जानते हैं। 

पुरानी तकनीक से बने मंदिरों की भी स्टडी की गई : 
नृपेन्द्र मिश्रा के मुताबिक, राम मंदिर निर्माण ट्रस्ट (Ram Mandir Construction Committee) बनने के बाद जब हमनें यहां नींव बनाने के लिए मिट्टी का परीक्षण किया तो पाया कि 161 फीट ऊंचे मंदिर के लिए जो वर्तमान हालत हैं, वो उतने बेहतर नहीं हैं। इसके बाद मंदिर की नींव के काम को लेकर मंथन शुरू हुआ, जिसमें पुरानी तकनीक और शैली से बने मंदिरों की भी स्टडी की गई। बाद में फैसला किया गया कि इस 2.77 एकड़ जमीन में कम से कम तीन मंजिला इमारत के बराबर खुदाई करन की जरूरत पड़ेगी। 

मंदिर दीर्घायु हो इसके लिए की 3 मंजिला मकान बराबर खुदाई : 
इसके बाद यहां खुदाई कर करीब 70 लाख क्यूबिक फीट मिट्टी को हटाया गया। चूंकि हमारा लक्ष्य ये है कि मंदिर को इतना मजबूत बनाया जाए कि वो कम से कम 1000 साल तक टस से मस न हो। इसके लिए मंदिर की नींव का मजबूत होना सबसे ज्यादा जरूरी है। हमें मंदिर का निर्माण इस तरह से करने की जरूरत है कि वह दीर्घायु हो। नींव के लिए तीन मंजिला भवन के बराबर खुदाई करने के बाद सबसे जरूरी बात थी कि 15 मीटर गहरे क्षेत्र को भरा कैसे जाए। इसके लिए विशेषज्ञों की सलाह के बाद हमने इंजीनियर सॉइल (मिट्टी) का इस्तेमाल किया। इंजीनियर सॉइल वह मिट्टी होती है, जो भरने के बाद खुद को चट्टान में बदल लेती है।

नींव में 8 इंच मोटी करीब 45 परतें बिछाई गईं : 
बता दें कि 15 मार्च, 2021 को राम मंदिर निर्माण के लिए खोदी गई नींव की भराई का काम शुरू हुआ। विशेषज्ञों की सलाह के बाद इंजीनियर सॉइल के जरिए नींव को भरा गया। रोलर कॉम्पेक्टेड कंक्रीट तकनीक से करीब 1 लाख, 20 हजार स्क्वेयर फीट एरिया में 40-45 परतें बिछाई गईं। हर एक परत की मोटाई 8 इंच है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, राम मंदिर के शिखर की ऊंचाई करीब 161 फीट होगी। मंदिर की लंबाई 280-300 फीट होगी, जबकि इसमें 5 गुंबद होंगे। 

कौन हैं नृपेन्द्र मिश्रा : 
नृपेन्द्र मिश्रा यूपी काडर के 1967 बैच के रिटायर्ड आईएएस अफसर हैं। मूलत: यूपी के देवरिया के रहने वाले नृपेन्द्र मिश्रा की छवि ईमानदार और तेज तर्रार अफसर की रही है। नृपेंद्र मिश्रा प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव भी रह चुके हैं। इसके पहले भी वो अलग-अलग मंत्रालयों में कई महत्वपूर्ण पद संभाल चुके हैं। मिश्रा यूपी के मुख्य सचिव भी रह चुके हैं। इसके अलावा वो यूपीए सरकार के दौरान ट्राई के चेयरमैन भी थे। जब नृपेंद्र मिश्रा ट्राई के चेयरमैन पद से रिटायर हुए तो पब्लिक इंटरेस्ट फाउंडेशन (PIF) से जुड़ गए। बाद में राम मंदिर का फैसला आने के बाद सरकार ने उन्हे अहम जिम्मेदारी सौंपते हुए राम मंदिर निर्माण समिति का अध्यक्ष बनाया। 

जानें कब आया राम मंदिर का फैसला और कब बना ट्रस्ट : 
सुप्रीम कोर्ट ने 9 नवंबर, 2019 को अयोध्या की विवादित जमीन पर रामलला विराजमान का हक मानते हुए फैसला मंदिर के पक्ष में सुनाया। इसके साथ ही चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली 5 जजों की विशेष बेंच ने राम जन्मभूमि पर मंदिर निर्माण के लिए अलग से ट्रस्ट बनाने का आदेश दिया। इसके बाद 5 फरवरी, 2020 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संसद में ट्रस्ट के गठन का ऐलान किया। इस ट्रस्ट का नाम 'श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र' रखा गया। 

ये भी पढ़ें : 
अयोध्या में श्रीराम मंदिर निर्माण में क्या रहा सबसे बड़ा चैलेंज? पढ़ें नृपेन्द्र मिश्रा की जुबानी

अयोध्या के मंदिर में भगवान राम की ऐसी कौन-सी लीला होगी, जिसे पूरा अयोध्या देखेगा लाइव?

Exclusive interview: 1st टाइम नृपेन्द्र मिश्रा से जानें अयोध्या में राम मंदिर निर्माण की अब तक की अनसुनी बातें