कुछ लोगों की आदत होती है कि जब तक कार में फ्यूल गेज इंडिकेटर रेड न दिखाई देने लगे या रिजर्व न हो जाए तब तक फ्लूल नहीं डलवाते हैं। ऐसा करना कार और इंजन को नुकसान पहुंचा सकता है।
इंजन को नुकसान न हो इसके लिए कार में कम से कम तेल होना चाहिए। हालांकि, यह कई चीजों पर निर्भर करता है कि गाड़ी कौन सी है, फ्यूल टैंक की कैपेसिटी क्या है, पेट्रोल है या डीजल।
कार में कितना तेल होना चाहिए इसके लिए ड्राइविंग विहेबियर भी कारक हो सकता है। शहर में ज्यादा गाड़ी चलाते हैं या हाईवे पर या फिर गांव में इसके हिसाब से तेल का लेवल होना चाहिए।
कार के फ्यूल टैंक में एक चौथाई ऑयल मिनिमम लेवल माना जाता है। इससे कम तेल होने पर फ्यूल पंप में हवा भर सकती है, जिससे इंजन को तगड़ा नुकसान हो सकता है।
अगर कार का टैंक 1/2 फलु है तो ज्यादा सुरक्षित लेवल माना जाता है। वहीं, लंबे सफर पर निकलने से पहले 3/4 टैंक फुल रहना अच्छा लेवल माना जाता है।
कार में फ्यूल कम होने पर फ्यूल इंडिकेटर का लाइट जलने लगता है। इंजन की आवाज भी बदल जाती है। गाड़ी में पावर कम होने के साथ स्पीड में कमी आने लगती है।
कार में कम तेल होने से नुकसान न हो, इसके लिए नियमित तौर पर तेल का लेवल चेक करें। अच्छी क्वालिटी का तेल ही भरवाएं। कार कंपनी के तेल बदलने के नियमों को पालन करें।
गर्मियों में तेल लेवल जल्दी कम होता है, जबकि ठंडी के मौसम में तेल गाढ़ा होने से फ्यूल पंप पर ज्यादा दबाव पड़ता है। ऐसे में लंबे सफर पर जाने से पहले ऑयल और बाकी चीजें की जांच करें।