इंश्योरेंस की कॉपी पर कार चोरी होने पर क्लेम की जानकारी दी गई होती है लेकिन लूट होने पर भी बीमा का पैसा मिल जाता है। हालांकि, इसके लिए कुछ प्रक्रिया का पालन करना होता है।
कार चोरी होने पर उसकी मौजूदा बाजार वैल्यू या इंश्योरेंस डॉक्यूमेंट में दर्ज इंश्योरेंस डिक्लेयर वैल्यू (IDV) जितना पैसा मिल सकता है। कई बार बीमा कंपनी इससे इनकार कर सकती है।
कार चोरी या लूट ली जाए तो सबसे पहले तुरंत पुलिस में FIR कराएं। एफआईआर की कॉपी लेना नहीं भूलना चाहिए, क्योंकि इंश्योरेंस क्लेम करते समय इसकी जरूरत पड़ेगी।
कार चोरी या लूट की जानकारी ऑनलाइन या ऑफलाइन बीमा कंपनी को दें। बिना देर किए क्लेम फॉर्म भरें, जिसमें पॉलिसी नंबर, कार नंबर, चोरी या लूट की पूरी जानकारी देना न भूलें।
मोटर व्हीकल एक्ट के मुताबिक, कार चोरी या लूट होने की जानकारी RTO में जरूर दें। इसका फॉर्म भरकर आरटीओ के साइन करवाएं। पेपर ट्रांसफर होने पर बीमा कंपनी के पास जमा कराएं।
बीमा क्लेम करते समय सभी डॉक्यूमेंट लगाएं। इसमें FIR की ओरिजनल कॉपी, क्लेम फॉर्म, ड्राइविंग लाइसेंस कॉपी, आरसी बुक की कॉपी, RTO ट्रांसफर पेपर, कार की चाबी दें।
कार चोरी या लूट का क्लेम पाने संबंधित थाने से नो ट्रेस रिपोर्ट पेपर लें। FIR के 6 महीने बाद यह पेपर मिलता है, जिसमें लिखा होता है, कार मिली या नहीं, अब बीमा क्लेम कर सकते हैं।
नो ट्रेस पेपर के बाद बीमा कंपनी इस प्रॉसेस को आगे बढ़ाती हैं। फिर इंश्योरेंस डिक्लेयर वैल्यू यानी आईडीवी का पैसा जारी कर देती है।