शराब पीकर ड्राइविंग करना अपराध है। इससे एक्सीडेंट का खतरा रहता है। किसी को नुकसान भी पहुंच सकता है। ड्रिंक एंड ड्राइव करने से जुर्माना और सजा भी हो सकती है।
गाड़ी चलाते समय अगर अचानक से कोई सामने आ जाए तो तुरंत ही ब्रेक लगा देते हैं लेकिन अगर कोई नशे में ड्राइविंग कर रहा है तो इसमें समय लग सकता है, जिससे एक्सीडेंट का डर रहता है।
शराब पीकर ड्राइविंग हमेशा से गलत माना जाता रहा है। नशे में इंसान अपना होश खो बैठता है और जान-माल को जोखिम में डाल देता है।
कोई नशे में ड्राइव कर रहा है या नहीं इसके लिए पुलिस ब्रीथ एनालाइजर से खून में अल्कोहल मात्रा का पता लगाती है। 100Ml खून में 30 एमजी अल्कोहल होने पर ड्रिंक एंड ड्राइव का केस बनता है
मोटर वाहन अधिनियम, 1988 की धारा 185 के तहत भारत में नशे में गाड़ी चलाने पर पहली बार में 6 महीने तक जेल या 2 हजार रुपए तक जुर्माना लगता है।
टेक्नीकली माना जाता है कि नॉर्मल इंसान अगर ड्राइव कर रहा है तो उसे गाड़ी का ब्रेक लगाने में 0.37 सेकंड लग सकता है।
माना जाता है कि शराब के नशे में गाड़ी चलाते समय ब्रेक लगाने में 0.89 सेंकड यानी करीब डेढ़ मिनट का वक्त लगता है। हालांकि, ये वैज्ञानिक या किसी तथ्य पर आधारित जानकारी नहीं है।