शादी के लिए लीगल एज है। अगर लड़की की उम्र 18 साल से कम और लड़के की 21 साल से कम है और दोनों की शादी हो गई है तो उस शादी को अवैध माना जाएगा और मैरिज सर्टिफिकेट नहीं बन सकता।
भारत में हिंदू विवाह अधिनियम के तहत एक ही शादी मान्य है। कानूनी तौर से पहली शादी खत्म न होने तक दूसरी शादी करना गैर-कानूनी है। ऐसे मामलों में मैरिज सर्टिफिकेट नहीं बनता है।
अगर शादी सीधे खून से जुड़े रिश्तों में हुई है, जो कानूनी तौर या सामाजिक रूप से अवैध मानी जाती है, तो ऐसी शादी मान्य नहीं होगी और इसमें मैरिज सर्टिफिकेट नहीं बनेगा।
इंटर-रिलिजियस शादी, जिसमें स्पेशल मैरिज एक्ट में रजिस्ट्रेशन न हुआ हो, गैरकानूनी होता है। क्योंकि रजिस्ट्रेशन ही लीगल सर्टिफिकेट होता है। इसे पूरा किए बिना सर्टिफिकेट नहीं बनेगा।
अगर कोई भारतीय विदेश में शादी करता है तो उसे उस देश के कानून से वहीं रजिस्टर कराना होगा। रजिस्ट्रेशन न होने पर शादी अमान्य मानी जाएगी, भारत में मैरिज सर्टिफिकेट नहीं बनेगा।
भारतीय कानून के अनुसार,शादी में दोनों पक्षों की सहमति होनी चाहिए। अगर कोई मानसिक बीमार है और शादी के लिए सहमति नहीं दे सकता तो ऐसे कपल का मैरिज सर्टिफिकेट बनवाना मुश्किल हो सकता है
अगर शादी के कोई दस्तावेज जैसे फोटो-वीडियो या अन्य मौजूद नहीं हैं तो भी मैरिज सर्टिफिकेट नहीं बन पाता है।