विधानसभा चुनाव का पूरा खर्च उस राज्य की सरकार उठाती है। लेकिन अगर राज्य और लोकसभा का चुनाव साथ हो रहा है तो खर्चा केंद्र और राज्य सरकारों के बीच आधा-आधा बंट जाता है।
किसी भी चुनाव में हर उम्मीदवार को जमानत के तौर पर चुनाव आयोग के पास एक निश्चित राशि जमा करनी पड़ती है। इस राशि को ही जमानत राशि या सिक्योरिटी डिपॉजिट कहते हैं।
विधानसभा चुनाव में सामान्य वर्ग के उम्मीदवार को 10,000 रुपए और एससी-एसटी के प्रत्याशी को 5,000 रुपए जमानत राशि के तौर पर जमा करनी होती है।
चुनाव आयोग चाहता है कि चुनावी मैदान में सिर्फ गंभीर प्रत्याशी ही उतरे, हर कोई चुनाव न लड़ने लगे। इसी मकसद से जमानत राशि जमा करवाई जाती है।
चुनाव आयोग के अनुसार, अगर कोई उम्मीदवार चुनाव में कुल वैध वोट का 1/6 यानी 16.67% वोट नहीं पाता तो उसकी जमानत राशि जब्त कर ली जाती है।
अगर चुनाव में किसी प्रत्याशी को चुनाव आयोग के नियम के अनुसार 16.67 फीसदी से ज्यादा वोट मिल जाते हैं तो उसकी जमानत राशि वापस कर दी जाती है।
नामांकन वापस लेने या किसी कारण से रद्द होने पर जमानत राशि चुनाव आयोग वापस कर देता है। जीतने वाले उम्मीदवार की जमानत राशि भी लौटा दी जाती है।