विधायकों को हर महीने सैलरी मिलती है। क्षेत्र में लोककल्याण कार्यों पर खर्च करने के लिए अलग से विधायक फंड दी जाती है। हर राज्य के विधायकों की सैलरी और सुविधाएं अलग-अलग होती है।
हर राज्य के विधायक की सैलरी राज्य सरकार तय करती है। इसकी मंजूरी विधानसभा से लेनी होती है। उन्हें भत्ते और सुविधाएं भी मिलती हैं।
विधायकों को राज्य की राजधानी में रहने के लिए आवास, दैनिक भत्ता, यात्रा भत्ता, रेल, राज्य सरकारी बस की यात्रा की विशेष सुविधा, वाहन भत्ता, निजी सचिव, चिकित्सकीय सुविधाएं मिलती हैं।
जिन 5 राज्यों में चुनाव हुए हैं उनमें तेलंगाना के विधायकों की सैलरी सबसे ज्यादा है। तेलंगाना 2014 में बना। वहां विधायकों को 2.50 लाख प्रति माह सैलरी मिलती है,बेसिक सैलरी 20 हजार है
मध्यप्रदेश में विधायकों की मंथली सैलरी करीब 2.10 लाख है। उनकी बेसिक सैलरी 30 हजार, निर्वाचन क्षेत्र भत्ता 35 हजार और अन्य भत्तों में चिकित्सा, कंप्यूटर ऑपरेटर, यात्रा भत्ता आदि हैं
राजस्थान में विधायक को प्रतिमाह 1.25 लाख सैलरी मिलती है। बेसिक सैलरी 40 हजार के अलावा निर्वाचन क्षेत्र भत्ता ,दैनिक भत्ता, टेलिफोन भत्ता, यात्रा समेत कई सुविधाएं मिलती हैं।
छत्तीसगढ़ का एक विधायक की बेसिक सैलरी 20 हजार रु. है। इसमें निर्वाचन क्षेत्र भत्ता, टेलीफोन भत्ता, अर्दली भत्ता, दैनिक भत्ता और चिकित्सकीय भत्तों को मिलाकर 1.10 लाख सैलरी मिलती है।
मिजोरम में विधायकों की सैलरी सिर्फ 47 हजार रुपए है। इनमें बाकी भत्ते और सुविधाएं शामिल हैं। देश में सबसे ज्यादा विधायकों की सैलरी के मामले में इस राज्य का स्थान 27वां है।