सूर्य के ऊपरी हिस्सों क्रोमोस्फियर, फोटोस्फियर और कोरोना, सौर ज्वाला, सौर पवन, कोरोनल मास इजेक्शन जैसी प्रक्रियाओं का अध्ययन आदित्य एल 1 करेगा।
सूर्य एक G श्रेणी का तारा है, जिसके अंदर प्रमुख तौर पर हीलियम और हाइड्रोजन गैस भरी है। गुरुत्वाकर्षण बल के कारण यै गैसें सूर्य के अंदर रहती हैं और ऊर्जा पैदा करती हैं।
सूर्य की उम्र करीब 4.5 अरब साल बताई जाती है। हाइड्रोजन और हिलियम सूर्य के अंदर एक विशाल परमाणु संयंत्र की तरह ऊर्जा पैदा करती रहती हैं।
सूर्य के केंद्र में क्रोड़ होता है जो उसकी त्रिज्या का 25% है। सूर्य का बहरी हिस्सा क्वेक्टिव जोन 30% और बीच का 45% हिस्सा रेडिएटिव जोन कहलाता है।
सूरज का वो हिस्सा जो हमें दिखता है, उसे फोटोस्फियर कहते हैं। करोड़ो मील लंबी एक बाहरी परत को कोरोना कहते हैं। फोटोस्फियर का सबसे गर्म हिस्सा क्रोमोस्फियर कहलाता है।
फोटोस्फियर से ठीक ऊपर 2,000 KM चौड़ी क्रोमोस्फियर की परत है, जिसका तापमान 10,000 केल्विन तक होता है। लपटों के तौर पर निकलने वाली गैसों को स्पाइकल्स कहते हैं।
सूर्य के सबसे अंदर का वह हिस्सा जिसे हम देख सकते हैं फोटोस्फियर कहलाता है। यहीं तक का हिस्सा हमें नजर आता है। इससे अंदर का हिस्सा हमें नहीं दिखाई पड़ता है।
सूर्य की सतह यानी फोटोस्फियर 300 से 400 किलोमीटर का बड़ा क्षेत्र है। इस क्षेत्र का तापमान 5,800 केल्विन यानी 5526.85 डिग्री सेल्सियस तक होता है।
सूर्य का आखिरी हिस्सा कोरोना कहलाता है। इसकी चौड़ाई लाखों किलोमीटर में है। सूर्य के चुंबकत्व की वजह से इसका औसत तापमान 20 लाख केल्विन तक पहुंच जाता है।