भारत-मालदीव जातीय, भाषाई, सांस्कृतिक, धार्मिक और वाणिज्यिक संबंध रखते हैं। 1965 में आजादी के बाद भारत मालदीव को मान्यता देने और राजनयिक स्थापना वाले पहले देशों में से एक था।
मालदीव में हाई कमीशन ऑफ इंडिया के आंकड़ों के मुताबिक, मालदीव में दूसरा सबसे बड़ा प्रवासी समुदाय भारतीयों का ही है। मालदीव में कुल 27,000 भारतीय हैं।
भारतीय समुदाय सुरक्षा के अलावा मालदीव की आर्थिक और सामाजिक वृद्धि में अहम भागीदार हैं। मालदीव के सैकड़ों युवा हर साल भारत में उच्च शिक्षा प्राप्त करते हैं।
भारत सरकार मालदीव के कई छात्रों को स्कॉलरशिप देती है। साल 2019 के बाद हर साल हजारों की संख्या में मालदीव के लोग भारत में अलग-अलग सेक्टर में ट्रेनिंग लेने आते हैं।
मालदीव के हेल्थ-एजुकेशन में भारतीयों की उपस्थिति मजबूत है। 2022 में 1700 प्रवासी शिक्षकों में 95% भारतीय थे। बड़ी संख्या में डॉक्टर, नर्स, पैरामेडिक्स, फार्मासिस्ट भारतीय हैं।
मालदीव में 400 डॉक्टरों में से 125 से ज्यादा भारतीय हैं।भारतीय शिक्षकों-डॉक्टरों को वहां काफी सम्मान है।भारतीय IT, इंजीनियरिंग, मैनेजमेंट, हॉस्पिटैलिटी, टूरिज्म सेक्टर से जुड़े हैं
मालदीव टूरिज्म बेस्ड इकोनॉमी है। पर्यटन से मिलने वाला राजस्व मालदीव की GDP का करीब चौथाई हिस्सा है। देश के एक तिहाई से ज्यादा रोजगार मिलता है। सबसे ज्यादा भारतीय यहां पहुंचते हैं।
कोरोना में भारतीय पर्यटकों ने मालदीव की अर्थव्यवस्था में अहम भूमिका निभाई थी। 2022 में 2.41 लाख से ज्यादा, 2023 में 100,915 भारतीय पर्यटक 13 जून 2023 तक पहुंचे थे।
सैन्य सुरक्षा के अलावा प्राकृतिक आपदाओं में भारत मालदीव की मदद में सबसे आगे रहा है।कोरोना में मदद टीम, वैक्सीन भेजी,2015 में जल संकट से उबारा, अस्पतालों से रोड प्रोजेक्ट तक में मदद