प्राचीन रोम में जो सैनिक रोमन साम्राज्य के लिए काम किया करते थे, उन्हें काम के बदले मेहनताना के तौर पर नमक दिया जाता था। माना जाता है कि 'नमक का कर्ज' कहावत यहीं से आया।
फ्रांस के इतिहासकारों के मुताबिक, पहली बार 10,000 ईसा पूर्व से 6,000 ईसा पूर्व तक प्राचीन रोम में सैनिकों को काम के बदले पैसे या मुद्रा नहीं बल्कि एक मुट्ठी नमक दिया जाता था।
हिब्रू किताब एजारा में 550 और 450 ईसा पूर्व का जिक्र करते हुए लिखा गया है कि किसी से नमक लेना पगार के बराबर ही है। तब नमक की काफी अहमियत थी। इससे व्यापार होता था।
हिब्रू किताब एजारा में फारसी राजा आर्टाजर्क्सीस प्रथम के बारें में बताया गया है, जिसके नौकर अपनी वफादारी को लेकर कहते हैं कि उन्हें राजा का नमक मिलता है, इसलिए वे समर्पित हैं।
इंडिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार, रोमन इतिहासकार प्लीनी द एल्डर ने अपनी बुक 'नेचुरल हिस्ट्री' में लिखा- रोम में पहले सैनिकों का मेहनताना के लिए नमक मिलता था, यहीं से सैलरी शब्द आया
कहा जाता है कि Salt से Salary शब्द आया है। कई रिपोर्ट में दावा है कि Soldier शब्द लैटिन में 'sal dare' से बना है, जिसका मतलब भी नमक देने से ही है।
इतिहासकार के मुताबिक, रोमन में नमक को सैलेरियम कहा जाता है, इसी से सैलरी शब्द बना है। जिसे अलग-अलग नाम जैसे वेतन, तनख्वाह से भी जानते हैं।