लालकृष्ण आडवाणी को देश का सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न दिया जाएगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसकी जानकारी दी। यह सम्मान देश सेवा में विशिष्ट योगदान के लिए दिया जाता है।
कुछ मौकों पर विदेशी नागरिकों को भी भारत रत्न का सम्मान मिल चुका है। इनमें मदर टेरेसा, नेल्सन मंडेला और एक पाकिस्तानी शख्स का नाम भी शामिल हैं। जिनका नाम 'बादशाह खान' था।
बादशाह खान यानी अब्दुल गफ्फार खान भारत की आजादी के आंदोलन में अहम योगदान था। तब उन्हें सीमांत गांधी के नाम से पहचाना जाता था। उन्हें भारत रत्न से नवाजा जा चुका है।
अब्दुल गफ्फार खान का जन्म ब्रिटिश भारत के पंजाब प्रांत के पेशावर में 6 फरवरी, 1890 को हुआ था। उन्होंने अलीगढ़ से ग्रेजुएशन की पढ़ाई की थी। 1919 में पहली बार 6 महीने जेल में रहे।
20 की उम्र में पेशावर के उत्मान जई में स्कूल खोला, जिसपर 1915 में बैन लगा दिया गया। इसके बाद उन्होंने पश्तूनों में जागरूकता फैलाने 3 साल तक यात्राएं की। तब उनका नाम बादशाह खान पड़ा
सीमांत गांधी ने खुदाई खिदमतगार नाम का सामाजिक संगठन बनाया था। इसी के जरिए 1928 में महात्मा गांधी से मुलाकात हुई। दोनों दोस्त बन गए। उनके प्रभावित होकर गफ्फार कांग्रेस से जुड़ गए।
जब भारत के बंटवारे की बात हुई तो अब्दुल गफ्फार खान इसके विरोध में खड़े हो गए। बंटवारा नहीं रूका तो पश्तूनों के लिए अलग देश की मांग रखी लेकिन पाकिस्तान में घर होने से वहीं रहना पड़ा
बंटवारे से अब्दुल गफ्फार खान टूट चुके थे। वह पाकिस्तान में पश्तूनों के हक में लड़ते रहे। उन्हें देशद्रोही बताकर कई साल जेल में रखा गया। जेल से निकलकर अफगानिस्तान चले गए।
अफगानिस्तान के बाद सीमांत गांधी भारत पहुंचे और कुछ साल तक यहां रहने के बाद वापस पाकिस्तान चले गए। नजरबंदी के दौरान 20 जनवरी, 1988 को पेशावर में उनका निधन हो गया।
भारत सरकार ने 1987 में खान अब्दुल गफ्फार खान को देश के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया। यह सम्मान पाने वाले वे पहले गैर-भारतीय यानी विदेशी बने।