आर्थिक सहयोग और विकास संगठन (OECD) की हाल में ही आई एक रिपोर्ट में बताया गया कि दुनियाभर के सरकारी-कॉर्पोरेट बॉन्ड का बकाया मूल्य 2023 में 100 ट्रिलियन डॉलर से ज्यादा हो गया है।
दुनिया की 800 अरब की आबादी के हिसाब से अगर इस रिपोर्ट को देखा जाए तो हर आदमी कर्जदार है। हर इंसान पर 100 रुपए से ज्यादा का कर्ज है।
OECD की रिपोर्ट के अनुसार, बढ़ते इंटरेस्ट रेट की वजह से कर्ज लेने वालों के लिए स्थिति अब कठिन होती जा रही है। ऐसे में सरकारों और कंपनियों को निवेश को प्रॉयरिटी देनी होगी।
रॉयटर्स रिपोर्ट के अनुसार, 2021 से 2024 तक ब्याज लागत का GDP में हिस्सा 20 साल निचले स्तर से हाई पर पहुंच गया है।OECD मेंबर्स देशों में ब्याज भुगतान पर सरकारी खर्च GDP का 3.3% है
हाल में केंद्रीय बैंकों ने ब्याज दरों में कटौती की है, लेकिन उधारी लागत हाई बनी है। बढ़ती ब्याज दरों से लोन लागत में इजाफा हो रहा है जिससे कर्ज को मैनेज करना मुश्किल हो गया है है।
OECD का कहना है कि सरकारों और कंपनियों को उधारी रणनीतियों में बदलाव लाना चाहिए। तय करना चाहिए कि उधार ली गई राशि लॉन्ग टर्म ग्रोथ वाले निवेशों में लगाना चाहिए।
आर्थिक सहयोग और विकास संगठनकी यह रिपोर्ट साफ करती है कि ग्लोबल इकोनॉमिक स्टेबिलिटी के लिए जिम्मेदार डेब्ट मैनेजमेंट और प्रोडक्शन इंवेस्टमेंट में कर्ज का इस्तेमाल बेहद महत्वपूर्ण है
रिपोर्ट के अनुसार, OECD देशों के घरेलू सरकारी कर्ज में विदेशी निवेशकों की हिस्सेदारी 2021 में 29% थी, जो 2024 तक बढ़कर 34% पहुंच गई है। घरेलू निवेशकों का हिस्सा 5% से 11% हो गया है