इमरजेंसी फंड वह रकम है जिसे आप बिना किसी झंझट के, किसी भी वक्त निकाल सकें। यह आपका फाइनेंशियल सेफ्टी नेट है जो मेडिकल, जॉब या फैमिली इमरजेंसी में मदद करता है।
इमरजेंसी फंड में 6 महीने का खर्च रखें। जैसे- अगर आपका मंथली खर्च ₹40,000 है तो इमरजेंसी फंड में ₹2.4 लाख रखें। आज ही अपनी मंथली खर्च का हिसाब लगाएं और बचत अलग करें।
इमरजेंसी फंड सेविंग अकाउंट में रखने से फास्ट एक्सेस और फुल कंट्रोल मिलता है। UPI, ATM, नेटबैंकिंग से तुरंत निकाल सकते हैं। ब्याज 3-4% तक लगातार मिलता है। इसकी लिक्विडिटी 100% है।
बैंक एफडी में सेफ्टी और गारंटीड ब्याज मिलता है। शॉर्ट टर्म एफडी (7 दिन-1 साल) में ही रखें। 5-7% ब्याज और ₹5 लाख तक DICGC बीमा सुरक्षा मिलता है। जरूरत पर एफडी तोड़ सकते हैं।
इसमें सरकारी गारंटी के साथ सुकून मिलता है। पूरी तरह सॉवरेन (सरकारी) सिक्योरिटी, ब्याज दर तय और स्थिर (हर तिमाही अपडेट) मिलती है। डिजिटल एक्सेस सीमित, लेकिन झंझट-फ्री निवेश है।
इमरजेंसी फंड 3 हिस्सों में बांटें। 40% सेविंग अकाउंट में ताकि तुरंत पैसा निकले, 35% शॉर्ट-टर्म FD में ताकि ब्याज-सुरक्षा दोनों रहे, 25% पोस्ट ऑफिस में, जो सरकारी गारंटी के साथ है।
इमरजेंसी फंड को म्यूचुअल फंड या शेयर मार्केट में न डालें, ब्याज के चक्कर में पैसा लॉक न करें और एक ही बैंक में पूरा फंड न रखें। 'सेफ्टी पहले' रूल हमेशा याद रखें।
सेविंग अकाउंट 3-4% ब्याज, तुरंत पैसा निकालने की सुविधा है। FD में 5-7% तक ब्याज, लेकिन निकालने में 1-2 दिन लग सकते हैं। पोस्ट ऑफिस में 4-6.5% ब्याज और पूरी तरह सुरक्षित होती है।
यह आर्टिकल सिर्फ जानकारी के लिए है। यहां बताई बातें किसी तरह की फाइनेंशियल, इन्वेस्टमेंट सलाह नहीं हैं। किसी भी फाइनेंशियल निर्णय से पहले अपने फाइनेंशियल एडवाइजर से सलाह जरूर लें।