सबसे पहले अपने सभी लोन और क्रेडिट कार्ड EMIs एक जगह नोट करें। किस पर सबसे ज्यादा इंटरेस्ट है, किसका बकाया ज्यादा है, पहचानें। हाई इंटरेस्ट वाले लोन को पहले चुकाने का प्लान बनाएं।
अगर किसी क्रेडिट कार्ड या पर्सनल लोन की ब्याज दर बहुत ज्यादा है, तो आप उसे लो-इंटरेस्ट वाले बैंक में बैलेंस ट्रांसफर कर सकते हैं। इससे EMI कम होगी और कर्ज भी जल्दी खत्म होगा।
जहां पॉसिबल हो, छोटे-छोटे प्री-पेमेंट्स करें। इससे लोन अवधि कम होगी और ब्याज भी बचेंगे। अक्सर लोग सोचते हैं कि प्री-पेमेंट मुश्किल है, लेकिन आज कई बैंक ऑनलाइन इसका ऑप्शन देते हैं।
अगर आपके पास साइड इनकम, फ्रीलांसिंग या बुकसेलिंग जैसी एक्स्ट्रा इनकम है, तो उसे सीधे EMIs में डालें। इससे मंथली बकाया जल्दी कम होगा और फाइनेंशियल स्ट्रेस भी घटेगा।
अगर मंथली खर्च अचानक बढ़ गए हैं, तो कई बैंक EMI री-स्ट्रक्चरिंग या टेन्योर एक्सटेंशन ऑफर करते हैं। ध्यान रखें ब्याज मिलाकर थोड़ा ज्यादा हो सकता है, लेकिन डेट फ्रिक्वेंसी कम होगी।
सैलरी आने के बाद बजट बनाना बहुत जरूरी है। डिस्पोजेबल इनकम और गैर-जरूरी खर्चों को कम करें। हर महीने EMI के लिए फिक्स्ड अमाउंट पहले से अलग रखें।
क्रेडिट कार्ड पर सिर्फ जरूरी खर्च करें और पूरा बिल समय पर चुकाएं। यह आपके EMIs और डेट को बढ़ने से रोकता है और क्रेडिट स्कोर भी मजबूत करता है।
यह आर्टिकल सिर्फ जानकारी और फाइनेंशियल अवेयरनेस के उद्देश्य से है। निवेश या लोन संबंधी किसी भी फैसले से पहले अपने फाइनेंशियल एडवाइजर से सलाह जरूर लें।