हर साल बड़ी संख्या में भारतीय छात्र विदेश जाकर पढ़ाई करते हैं। ऑफिस फॉर नेशनल स्टैटिस्टिक के आंकड़े बताते हैं कि विदेश में जाकर पढ़ाई करने में भारत ने चीन को पीछे छोड़ दिया है।
विदेश मंत्रालय की डेटा के मुताबिक, 2022 में 13,24,954 भारतीय छात्र विदेश पढ़ने गए। जिसमें 13.83% यानी 1,83,310 छात्र कनाडा पढ़ने गए। विदेश जाने वाला हर 7वां छात्र कनाडा गया।
विदेशों में जिस कदर भारतीय स्टूडेंट्स की संख्या बढ़ रही है। ऐसे में कनाडा और यूक्रेन जैसे हालात से बचने के लिए Student Travel Insurance Policy जरूरी हो जाती है।
यह हेल्थ और इंटरनेशनल ट्रैवल इंश्योरेंस का मिक्सर है। विदेश में पढ़ने वाले 16 से 35 साल के छात्रों को दिया जाता है। इसकी अवधि 1 से 3 साल तक होती है।
जनरल इंश्योरेंस काउंसिल ऑफ इंडिया के मुताबिक, यूएस-कनाडा के लिए ट्रैवल बीमा कवर 1.5 करोड़ तक है। ब्रिटेन समेत दूसरे देशों के लिए 37 लाख से 1.5 करोड़ तक।
भारतीय बीमा संस्थान के अनुसार, पासपोर्ट खोने पर खर्च का भुगतान, चेक इन बैगेज में देरी-नुकसान, बैगेज-सामान खोने पर भरपाई, उड़ान में 4 घंटे देरी का मुआवजा मिलता है।
स्टूडेंट ट्रैवल इंश्योरेंस में हेल्थ कवर में इमरजेंसी अस्पताल भर्ती, एक्सीडेंट इलाज, डेली अलाउंस, दूसरी बीमारियों का इलाज, पर्सनल एक्सीडेंट और मेडिकल एवेकुएशन कवर होता है।
वैक्सीनेशन न होने से बीमारी, नशा, डिप्रेशन, जानबूझकर चोट पहुंचाना, रेडिएशन, न्यूक्लियर वेस्ट, एयरक्राफ्ट प्रेशर वेक्स एक्सीडेंट, युद्ध, सैन्य अभ्यास, खेल, आतंक का हिस्सा होने पर।
हर देश के लिए स्टूडेंट ट्रैवल इंश्योरेंस की बीमा प्रीमियम राशि और रिस्क कवर अलग-अलग है। अमेरिका में मेडिकल खर्चे ज्यादा होने से बाकी देशों की बजाय वहां यात्रा बीमा पॉलिसी महंगा है।