ओल्ड टैक्स रिजीम चुनने पर अलग-अलग छूट-कटौती क्लेम कर सकते हैं। न्यू टैक्स रिजीम प्रक्रिया को सिंपल बनाती है लेकिन ज्यादातर कटौती खत्म करती है। दोनों में कोई चुन सकते हैं।
पेंशन आय पर 50 हजार रुपए की स्टैंडर्ड डिडक्शन लागू होती है, जो सैलरीड पर्सन के लिए उपलब्ध राहत के बराबर है। पेंशनर्स अपनी टैक्स वाले इनकम को कम करने इसका क्लेम कर सकते हैं।
PPF, NSC, LIC में निवेश कर 80C में 1.5 लाख तक छूट पा सकते हैं। 80D में फैमिली और माता-पिता की हेल्थ इंश्योरेंस भुगतान के प्रीमियम के लिए हाई टैक्स डिडक्शन का दावा कर सकते हैं।
पहली बार घर लेने वालों के लिए धारा 80EEA के तहत लिए होम लोन पर ब्याज के लिए 1.5 लाख रुपए तक एक्स्ट्रा डिडक्शन बढ़ाई गई है। सरकार ऐसे टैक्सपेयर्स को राहत देना चाहती है।
TDS और TDS का दायरा बढ़ा दिया गया है। नए बदलाव में नॉन-सैलरीड और कारोबारी टैक्सपेयर्स अपने TDS सर्टिफिकेट्स की समीक्षा कर ITR में सही क्रेडिट का दावा कर सकते हैं।
आईटीआर फॉर्म में कुछ संशोधन हुए हैं। विदेशी संपत्तियों, आय, बड़े लेन-देन में खुलासा करने के नियम बदले गए हैं। विदेशी निवेश या फाइनेंशियल एक्टिविटीज की पूरी जानकारी देनी चाहिए।
75 या उससे ज्यादा उम्र वाले जिनकी आय पेंशन और ब्याज है, उन्हें ITR से छूट दी गई है। नियम ये है कि बैंक जरूर टैक्स काट लें। इससे सीनियर सिटीजन को काफी राहत मिलती है।
ह्यूमन इंटरफेस कम करने और ट्रांसपैरेंसी मेंके लिए फेसलेस असेसमेंट और अपील मेकनिज्म सुधारा गया है। टैक्सपेयर्स को सभी नोटिस के जवाब समय सीमा में ऑनलाइन कर देना चाहिए।