किसान आंदोलन का असर अब राज्यों के खजाने पर पड़ने लगा है। एक अनुमान है कि किसानों के प्रदर्शन और कई राज्यों की सीमाएं सील होने से उत्तर भारत के राज्यों के खजाने पर असर पड़ रहा है।
उद्योग मंडल पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (PHDCCI) ने शुक्रवार को आंकलन जारी कर बताया कि अगर किसान आंदोलन लंबा चला तो उत्तरी राज्यों में कारोबार-उद्योग को बड़ा नुकसान होगा।
एक आंकलन है कि किसान आंदोलन की वजह से जो सीमाएं सील की गई हैं, उससे ट्रांसपोर्टेशन का काम ठप पड़ गया है और उत्तर भारत के राज्यों को हर दिन 500 करोड़ तक का नुकसान हो सकता है।
PHDCCI की तरफ से कहा गया कि उत्तरी राज्यों में प्रमुख तौर पर दिल्ली, पंजाब और हरियाणा के चौथी तिमाही के GSDP पर असर पड़ेगा। उद्योग मंडल जल्द ही इसके समाधान की उम्मीद करता है।
PHDCCI ने बताया कि किसान आंदोलन का सबसे ज्यादा असर, दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान के कुछ हिस्सों में MSME उद्योगों पर पड़ेगा, जिससे बड़ा नुकसान हो सकता है।
PHDCCI ने बताया कि की इन राज्यों में मांग को पूरा करने के लिए बड़े स्तर पर कच्चे माल खरीदे जाते हैं। सबसे ज्यादा नुकसान दिल्ली, पंजाब और हरियाणा के MSME पर पड़ेगा।
PHDCCI ने बताया कि दिल्ली, पंजाब, हरियाणा की संयुक्त GSDP 2022-23 में 27 लाख करोड़ होने का अनुमान है। तीनों राज्यों में करीब 34 लाख MSME हैं, जहां करीब 70 लाख लोग काम करते हैं।