रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस साल 15 जनवरी से लेकर 15 जुलाई तक चलने वाले वेडिंग सीजन में करीब 45 लाख शादियां होने का अनुमान है। जिससे कारोबारी उत्साहित हैं।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस साल होने वाली शादियों में जमकर शॉपिंग होगी। जिससे करीब 5.5 लाख करोड़ रुपए के कारोबार की उम्मीद है। इससे देश के खजाने में काफी बढ़ोतरी होगी।
यह रिपोर्ट कारोबारियों की संस्था कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT) की रिसर्च ब्रांच कैट रिसर्च एंड ट्रेड डेवलपमेंट सोसाइटी ने देश के 30 शहरों में बातचीत कर तैयार किया है।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, दिल्ली में ही इस वेडिंग सीजन में 4 लाख से ज्यादा शादियों का अनुमान है। जिससे करीब 1.5 लाख करोड़ रुपए की कमाई होगी। पिछले साल करीब 4.25 लाख करोड़ रु. था।
इस वेडिंग सीजन में करीब 5 लाख शादियों में से हर एक में लगभग 3 लाख रुपए खर्च होगा, जबकि करीब 10 लाख शादियों में प्रति की लागत करीब 6 लाख रुपए हो सकती है।
10 लाख शादियों की अनुमानित लागत प्रति विवाह करीब 10 लाख, 10 लाख विवाह की लागत करीब 15 लाख प्रति विवाह रहेगी। वहीं, 6 लाख विवाह में करीब 25 लाख प्रति विवाह अनुमानित है।
60 हजार शादियां ऐसी होंगी, जिनमें प्रति विवाह करीब 50 लाख रुपए खर्च होगा। वहीं, 40 हजार शादियां ऐसी रहेंगी, जिनमें 1 करोड़ से ज्यादा खर्च किए जाएंगे।
विशेषज्ञ के मुताबिक, हर शादी में करीब 20 प्रतिशत खर्च दुल्हन और दुल्हे को जाता है, जबकि 80 प्रतिशत खर्च विवाह आयोजन को पूरा करवाने में शामिल तीसरी एजेंसियों को जाता है।
घर की मरम्मत-पेंटिंग, आभूषण, साड़ी, लहंगा-चुनरी, फर्नीचर, रेडीमेड कपड़े, कपड़े, जूते, विवाह और शुभकार्य कार्ड, सूखे मेवे, मिठाई, फल, पूजा वस्त्र जैसे कई चीजों में खर्च होता है।