पिछले बजट में सरकार ने टैक्सपेयर्स को बड़ी राहत देते हुए 7 लाख रुपये तक की आमदनी को टैक्स फ्री कर दिया था। इसके साथ ही नया इनकम टैक्स स्लैब भी पेश किया था।
इसके तहत अब टैक्सपेयर्स के पास New Tax Regime और Old Tax Regime के दो विकल्प हैं। करदाता अपने खर्चों और जरूरतों के मुताबिक कोई भी रिजीम चुन सकता है।
हालांकि, अगर टैक्सपेयर ओल्ड रिजीम नहीं चुनता है तो न्यू रिजीम का ऑप्शन डिफॉल्ट है और वो ऑटोमेटिक उसे New Regime में शामिल कर लेगा। आखिर क्या है Old और New Tax Regime.
जहां तक TAX Regime का सवाल है तो ये टैक्सपेयर की आय, इन्वेस्टमेंट हैबिट और खर्चों पर डिपेंड करता है। हो सकता है किसी को न्यू टैक्स रिजीम ज्यादा फायदेमंद हो या किसी के लिए ओल्ड।
पिछले बजट में सरकार ने 7 लाख तक की इनकम टैक्स फ्री की थी। साथ ही न्यू टैक्स रिजीम को अट्रैक्टिव बनाने के लिए टैक्सपेयर्स को स्टैंडर्ड डिडक्शन का फायदा देने का ऑप्शन भी दिया था।
अगर किसी की सैलरी 7.5 लाख रुपए है और उसने न्यू टैक्स रिजीम (New Tax Regime) का विकल्प चुना है तो उसे 50 हजार के स्टैंडर्ड डिडक्शन का फायदा भी मिलेगा।
Old टैक्स रिजीम में अगर किसी ने होम लोन ले रखा है तो उसके ब्याज पर भी छूट मिल जाएगी। वहीं New Tax Regime में ये फायदा नहीं मिलेगा।
अगर किसी ने ओल्ड टैक्स रिजीम चुना है और किराए से रहता है तो वह HRA (House Rent Allowance) क्लेम कर सकता है। न्यू टैक्स रिजीम में ये फायदा नहीं मिलेगा।
ओल्ड टैक्स रिजीम में income tax के सेक्शन 80C, 80D, 80CCD के तहत कई तरह की छूट का लाभ मिलता है। लेकिन न्यू टैक्स रिजीम में 7 लाख की इनकम के बाद इनके तहत छूट का लाभ नहीं मिलेगा।
Old टैक्स रिजीम में 5 लाख तक की आय पर टैक्स नहीं देना होता। 80C के तहत डेढ़ लाख रुपये के निवेश पर टैक्स छूट भी मिलती है। यानी ओल्ड रिजीम में 6.50 लाख तक की इनकम टैक्स फ्री रहती है।
50 हजार के स्टैंडर्ड डिडक्शन का फायदा Old और New दोनों ही रिजीम में मिलता है। हालांकि, ओल्ड रिजीम में नेशनल पेंशन स्कीम में 50,000 तक का निवेश करने पर 80CCD के तहत छूट मिलती है।