1 फरवरी को वित्त मंत्री निर्मला सीतारण लोकसभा चुनाव से पहले मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का आखिरी बजट पेश करेंगी। ऐसे में जनता को काफी उम्मीदें हैं।
पॉलिसी बाजार की ओर से जारी एक डेटा के मुताबिक, पिछले 5 साल में मामूली से मामूली बीमारियों के इलाज का खर्च भी दोगुना हो गया है। मेडिकल इंश्योरेंस भी आज काफी महंगा हो चुका है।
पत्नी और दो बच्चों के लिए 5 लाख तक का मेडिक्लेम लेने पर सालाना 36,365 रु. तक प्रीमियम भरना पड़ता है। इससे 80D में 25,000 रु. के प्रीमियम पर टैक्स डिडक्शन बेनिफिट्स काफी कम है।
2015 के बजट में सरकार ने 80डी के तहत डिडक्शन लिमिट 15,000 से बढ़ाकर 25,000 रु. कर दिया था। 2028 में सीनियर सिटीजंस के लिए 30 हजार से बढ़ाकर 50 हजार रु. कर दिया था।
साल 2015 के 9 साल बाद भी टैक्स डिडक्शन क्लेम की लिमिट नहीं बदली है। इस बीच कोरोना महामारी भी आई लेकिन इसमें बढ़ोतरी नहीं की गई।
इस बार बजट में वित्त मंत्री से 80डी के तहत डिडक्शन लिमिट बढ़ाने की मांग की जा रही है। लोगों को उम्मीद है कि सरकार इस बार मेडिक्लेम पर टैक्स बेनेफिट की लिमिट बढ़ा सकती है।
मेडिकल इंश्योरेंस का फायदा उन्हीं टैक्सपेयर्स को मिलता है जो पुरानी इनकम टैक्स रिजीम में रिटर्न फाइल करते हैं। ऐसे में मांग है कि नए इनकम टैक्स रिजीम में भी इसका लाभ दिया जाए।